रविवार, 17 अगस्त 2014

APRT टोंक में हमारी कक्षाएं व् कार्यालय  नीचे थे और व MAS व्यवस्था ऊपर थी; कुलदीप,  भानीराम, कृष्ण लाल पारीक, मनोहर लाल स्वामी,  गौरीशंकर,  ईश्वरलाल  मीना, लगभग 

रविवार, 10 अगस्त 2014

YAADEN (153) यादें (१५३)

APRT टोंक में अल-सुबह मुँह अँधेरे हुसैन खान जी PTI की WHISTLE बज जाती थी -

दौड़ते हुए, भागते हुए ! दौड़ते हुए, भागते हुए !!
मैंने बड़े-बड़े तहसीलदारों को सीधा कर दिया है! तुम तो गिरदावर हो !!
प्रशासनिक अधिकारी - कामयाबी के लिए दो बातें याद रखना-
जेब में PEN मत रखो !
दिमाग़ से काम मत लो !
ACCOUNTS OFFICER DR MAMODIAथे,
IRA मनमोहन लाल गोयल कहते थे - हम ACCOUNT वाले बड़ा ,मीठा-मीठा बोलते हैं; पर लिखते वक़्त कभी नहीं चूकते !
उनसे मैंने "निवेदन " शब्द के प्रयोग सीखा !
PRINCIPAL महेंद्र सिंह यादव, गंगानगर शुगर मिल महाप्रबंधक के पद पर चले गये और PD पालीवाल आये, KK सिंगल VICE-PRINCIPAL थे, जो बाद में श्रीकरणपुर SDM रहे थे; वे कक्षा में कुछ नया करवाते रहते थे; बंद पर्चियों में लिखना-
मुझ में क्या कमी है
दूसरों में क्या अच्छाई है;
मुझे दूसरों से क्या अपेक्षा है

PATWAR TRAINING SCHOOL में अध्यापन के दौरान मैंने भी ऐसे प्रयोग काफी किये थे !

LECTURER महेश चन्द्र गुप्ता जी का मुझ पर काफी स्नेह रहा था; कुछ वर्ष पूर्व वे अतिरिक्त महानिरीक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक अजमेर के पद पर रहे हैं ! K रामबिहारी जी, सेटलमेंट ऑफिसर थे; उनके वाक्यों को मैंने अभी तक मन में रखा हुआ है-
NOT ONLY ACT;
BUT WITH TACT;
 AND WITHIN THE FACT !!



रविवार, 3 अगस्त 2014

YAADEN (152) यादें (१५२)

बाढ़ के इन हालात में ही दो सेक्शन में से हमारे वाले सेक्शन को 1 अगस्त १९८१ से दो माह के  FIELD-SURVEY के लिए निवाई भेजा गया; कृषि उपज मण्डी समिति की खाली दुकानों में हमने डेरा डाला ! जयपुर टोंक मुख्य सड़क के किनारे एक ढाबे पर हमने 5 रूपये प्रति व्यक्ति प्रति दिन (दोनों समय) की दर से भोजन व्यवस्था कर ली ! माधोलाल गुप्ता जी, हमारे SURVEY TEACHER थे !
उन दो महीनों में हम सभी पूरी तरह से घुल-मिल गये थे सुबह उठते ही निकल जाते, दोपहर तक ज़रीब चलाते, FIELD-BOOK बनाते; फिर होटल जाकर खाना खाते वापस आवास पर आकर  PLOTTING करते, नक्शा बनाते, नंबर-अंदाज़ी करते, रकबा-बरारी करते और फिर  फिर एक दूसरे से नक़्शे और क्षेत्रफल का मिलन करते; और अपनी-अपनी गलतियां ढूंढते !
बाढ़ पीड़ितों की सहायतार्थ राजस्थानी लोक गायक गणपत लाल डांगी और मीना चौधरी का कार्यक्रम निवाई में आयोजित हुआ था ! राजस्थानी लोक-कार्यक्रम पहली बार मैंने देखा था !-
मोरिया आच्छो बोलयो ए ढळतीरात ने !

जय جیہینहिंदڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
Ashok 9414094991, Tehsildar ; Sri Vijay Nagar 335704 
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रविवार, 27 जुलाई 2014

YAADEN (151) यादें (१५१)

बुद्धवार 27/05/1981 को मैं रायसिंह नगर तहसील में उपस्थित हुआ; सुगन चंद आर्य, तहसीलदार, बग्गा सिंह नायब तहसीलदार, मंशा सिंह Office Quanoongo, जेठमल सेठिया और बलदेव सिंह Leave Rreserve Patwari थे; जेठमल मेरे पूर्व परिचित थे; कुछ अन्य पटवारी GKS बैंक के समय से मेरे पूर्व परिचित थे; उदयवीर सिंह चौहान संगराना, होशियार सिंह भोमपुरा गिरदावर थे; ये दोनों आज भी मेरे साथ बड़े भाई जैसा ही व्यवहार करते है;  जिलेदार दफतर विजय नगर की तरह ही मैंने तहसील रायसिंह नगर में भी खूब मन लगा कर काम सीखा !       शनिवार 04/07/1981 को रायसिंह नगर से कार्यमुक्त होकर सोमवार 06/07/1981 को मैं APRT टोंक पहुँच गया !
वहाँ हमारे दो SECTION  बना दिए थे;

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रविवार, 20 जुलाई 2014

YAADEN (150) यादें (१५०)

सीधी भर्ती ILR के कुल ५९ में से ७ पद राजस्व विभाग के पटवारियों के लिए आरक्षित थे; बातचीत में पता चला कि उन 7 को पूरा वेतन मिलेगा ! बाकी ५२ को र ७५ मासिक दर से निर्वाह भत्ता मिलना था ! हमने हिसाब लगाया, तो पता चला कि कुल 36 पटवारी राजस्व के, रामस्वरूप अरविन्द कोटा CAD से, फ़क़ीर मोहम्मद उपनिवेशन बीकानेर से, और मैं सिंचाई श्रीगंगानगर से  कुल ३९ पटवारी आ गये थे;
हमें ये नागवार लग रहा था कि जो आरक्षण से 7 लोग आये हैं , वे तो पूरा वेतन लें और जो 32 अपनी मेहनत से आये है, वे वञ्चित रहें ! 8 अगस्त, 1981 को टोंक में, बाढ़  का दौरा करने आये, राजस्व मंत्री परसराम मदेरणा से हम मिले;
मुझे एक-एक शब्द याद है , उन्होंने कहा -
TODAY IS SUNDAY TOMORROW I SHALL CALL YOUR FILE !
और 11 अगस्त, !९८१ को राजस्थान भू राजस्व (भू-अभिलेख) नियमावली १९५७ के नियम २९५ में संशोधन की अधिसूचना जारी हो गई, जिसका एक-एक शब्द मुझे आज भी हू-बी-हू याद है  _
PROVIDED THAT, IF A PATWARI WHO IS SELECTED FOR QUANOONGO TRAINING SCHOOL & JOINS THE SAME, SHALL BE TREATED AS ON DUTY & SHALL RECEIVE HIS SALARY DURING THE PERIOD OF TRAINING

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रविवार, 13 जुलाई 2014

YAADEN (149) यादें (१४९)

जुलाई/अगस्त 1981 में राजस्थान के 5 नये जिलों- धौलपुर, दौसा, राजसमंद, बारां हनुमानगढ़ की
घोषणा हुई; जगन्नाथ पहाड़िया ने राजस्थान के मुख्य मंत्री पद से त्याग-पत्र दिया; और शिवचरण माथुर मुख्य मंत्री के साथ परसराम मदेरणा, श्रीमती कमला बेनीवाल, और ने मंत्री पद की शपथ ली; ज़बरदस्त बरसात हुई; अमानीशाह नाला, बनास, चम्बल  और अन्य नदियों में बाढ़ की स्थिति बन गयी; जयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, अलवर, भरतपुर, करौली, कोटा, अजमेर आदि पूर्वी दक्षिणी राजस्थान में कई दिनों तक अधिकांशतः यातायात और सञ्चार ठप्प रहा था ! टोंक के निचले इलाकों से लोगों को हटाकर APRT में बैठाया गया ! खाना बनाने वाले हलवाई लगे हुए थे; तहसीलदार टोंक एक बुज़ुर्ग व्यक्ति थे; हम उनसे बात करने लगे, तो मजाक में बोले- RETIRE होकर HOTEL खोलूंगा !
मंत्री परसराम मदेरणा और कमला बेनीवाल दौरा करने आये थे;
पहाड़िया सरकार के घोषित 5 में से, माथुर सरकार ने केवल एक धौलपुर को ही, 27वां जिला बनाया था !


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रविवार, 6 जुलाई 2014

YAADEN (148) यादें (१४८)

सोमवार, 25 मई १८८१ को मैंने APRT (All Purpose Revenue Training ) school टोंक में उपस्थिति पेश की  महेंद्र सिंह यादव Principal थे; सबसे पहले बनवारी लाल से मेरी मुलकात हुई, जो टिब्बी के हैं; वहीँ पर मैंने कुलदीप सिंह को देखा, जिनका पता उदयपुर था; काली pent, सफ़ेद bush-shirt बिलकुल पदमकुमार जी वाला पहनावा; भरा चेहरा और हलकी दाढ़ी; प्रथम दृष्टि में, मैंने उन्हें उदयपुर का कोई राजपूत लड़का समझा था;   बनवारी ने ही मुझे बताया कि वह मसानीवाला (तहसील टिब्बी) का जटसिख है; और बनवारी का class-fellow था; हम तीनों एक ही जिले के हो गए (हनुमान गढ़ जिला नहीं था) कुलदीप उस समय मावली तहसील में राजस्व पटवारी था;  बनवारी वन विभाग चुरू में था; 
APRT में नज़ीर अहमद बाबू थे ! उसी दिन मुझे रायसिंह नगर, बनवारी को टिब्बी और कुलदीप को वल्लभनगर तहसील ट्रेनिँग के लिए भेज दिया ! 
वापस जयपुर देर से पहुँचने के कारण  शाम 6 बजे श्रीगंगानगर वाली गाड़ी की बजाय रात को बीकानेर express पर चलकर 2.30 बजे चुरू आकर मैं बनवारी के पास ही  रुका; सुबह रेल से सादुलपुर, हनुमानगढ़ और रात 11 बजे रायसिंहनगर !            




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रविवार, 29 जून 2014

YAADEN (147) यादें (१४७)

नहरी पटवारी बनने के बाद पहले साल 1978-79 में मैंने ७१% दुसरे साल 1979-80 में 94 % और तीसरे साल 1980-81  में 97% वसूली की; मई 1981 की एक दोपहरी में ढाणी-ढाणी  घूमता हुआ 4STB में पिरथी सिंह की ढाणी पहुंचा, तो मेरे चाचा बालकृष्ण जी वहां आये हुए बैठे थे; उन्होंने मुझे डाक दी; जिसमें मेरे निरीक्षक भू-अभिलेख पद के लिए चयन होना तथा २५/०५/१९८१ को सर्व उद्देशीय राजस्व प्रशिक्षणालय टोंक में उपस्थित होने का आदेश था; यह मेरे लिए बिलकुल अप्रत्याशित था; क्योंकि जून १९७९ में होने वाली परीक्षा सितम्बर १९७९ में हुई थी; और मेरा आकलन था, कि 1979 में ही चयन आदि होकर नियुक्ति हो चुकी होगी; और मेरा चयन नहीं हुआ होगा; पर हकीकत ये बनी, कि हमारी 59 पदों की रिक्तियां 50% सीधी भर्ती और शेष ५०% राजस्व पटवारियों से पदोन्नति की गणना से निकली थीं; उसके बाद पटवार संघ की मांग पर राज्य सरकार ने 20%सीधी भर्ती, 15% पटवारियों की विभागीय परीक्षा और  65% पटवारियों की पदोन्नति मान ली थी; इस चक्कर में हमारी रुक गयी कि इसे भी 50 से घटाकर 20% किया जावे या नहीं ?


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रविवार, 22 जून 2014

YAADEN (146) यादें (१४६)

नहरी पटवारी रहने के दौरान ही बद्रीराम जी की लड़की की शादी थी; वे एक महीने की छुट्टी गये, उनका कार्य भार मेरे पास था; एक दिन थैले में 4 रसीद बुक मेरी और 5 बद्री जी की लेकर मैं वसूली कर रहा था; 2STB से गुलजारा सिंह भंगू का MESSY ट्रेक्टर ट्राली खिचियाँ (सरदार पूरा बीका) जा रहा था; उनका लड़का सुखदेव चला रहा था; मुझे भी उधर जाना था; मैं ट्रेक्टर के MUD-GUARD पर बैठ गया; उस वक़्त 6STB से वाली सड़क बन रही थी; रास्ते में थैला टेढ़ा हुआ और 9 रसीद बुक गिर गई; लगभग २ किलोमीटर में ही मुझे पता चल गया; सब पर मोटे गत्ते की ज़िल्द चढ़ी हुई थी; और सारे रास्ते में सड़क का काम चल रहा था; इसलिए मेरा अनुमान था कि उड़ भी नहीं सकती और गायब भी नहीं हो सकती; TROLLY खोलकर हम TRACTOR से वापस आये, खूब पूछताछ की, किन्तु किसी ने कुछ नहीं बताया;
फिर मैं और बद्री जी दोनों दो-तीन दिन ऊँठ चढ़ कर ढूंढते रहे; 8STB कुलड़ियों की ढाणी भी रात रुके थे; उस दिन वे गंगूवाला नंदराम गोदारा (प्रधान पंचायत समिति रायसिंहनगर ) के घर से शादी करके आये थे;
रसीद बुकें नहीं मिली; मैं हर महीने चकवार बकाया की सूचियां बना लिया करता था; साथ के साथ उनमें वसूली दर्ज भी करता रहता था; उन्हीं सूचियों से रोकड़ बही पूरी करके, मैंने रकम जमा करवा दी; और हिम्मत करके १००% प्रतिशत वसूली कर दी ताकि, मेरे ऊपर गबन का इलज़ाम न लग सके;

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रविवार, 15 जून 2014

YAADEN (145) यादें(१४५)

चक 2STB में Justice जवान सिंह राणावत परिवार की 14 मुरब्बे ज़मीन करणपुर, पदमपुर, श्रीगंगानगर के सरदारों ने 12 लाख रुपये में खरीदी थी; गुलजारा सिंह भंगू  6NN (पदमपुर), उनके पुत्र सुखदेव सिंह, और दामाद निरंजन सिंह निज्जर 9Z (श्रीगंगानगर), और उसके छोटे भाई जसवीर सिंह (राणा) से मेरा अच्छा परिचय हो गया था; बाद में जब मैं श्रीगंगानगर और पदमपुर रहा, तो भी संपर्क बने रहे; निरंजनसिंह से तो गहरे सम्बन्ध हो गये; उनके सभी पारिवारिक मसलों में भी वे और उनकी माता मुझसे अक्सर सलाह लेते रहे है; फिर आगे उनके बेटे हरपिंदर (Happy) के ससुराल जगतार सिंह 34GG, उनके बेटे हरदीप सिंह से भी अच्छी मेल मुलाकात रहा है;
निरंजन सिंह और भाभी जी; अमेरिका अपनी बेटी के पास चले जाते हैं ; तो भी फोन पर अक्सर सलाह करते रहते हैं;

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रविवार, 8 जून 2014

yaaden(144) यादें(१४४)

अप्रैल १९८१ में ACCIDENT के बाद मई में यमुना नगर पत्नी के ममेरे भाई गुलशन कुमार ढल कि शादी थी; ससुराल के परिवार के साथ  गया था; बारात जगाधरी गयी थी; यमुना नगर , अम्बाला रिश्तेदारों से मिलने के बाद हम सब सरसावा (सहारनपुर) हरीश सोनी (गुलशन के जीजा) के घर,  हरिद्वार, ऋषिकेश, भानियावाला, डोईवाला, मसूरी होते हुए घर लौटे थे !

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रविवार, 1 जून 2014

YAADEN (143) यादें (१४३)

दिनाँक १ अप्रैल, १९८१ रविवार प्रातः लगभग ५ बजे देवराम बावरी हमारे घर आया और कहा कि मंगलगढ़ FARM से बड़े भाई को लेकर आना है; हमारे साथ उनके परिवार का मेल-जोल था; मेरे पास JAWA MOTOR CYCLE RRK 2299 था; वह मेरे पीछे बैठ गया; हम नानूवाला कोठी से आगे दक्षिण दिशा को  35NP के पास पहुंचे,  तो सामने से एक ऊँठगाड़ी आ रही थी, चालक ने ऊँठ कि मोहरी छोड़ी हुई थी, खुद गाड़ी में आराम से लेटा था; मुझे अहसास हुआ कि ऊँठ बिदक सकता है; मैंने MOTORCYCLE की गति बिलकुल कम कर ली;  जैसे ही हम ऊँठ गाड़ी के बराबर से गुजरने लगे , बिना मोहरी के ऊँठ पश्चिम को घूम गया; ऊँठ गाड़ी के बिड से मेरी दाहिनी कोहनी पर धक्का लगा, और गति कम होने के कारण मोटरसाइकिल समेत हम बाईं तरफ पूर्व दिशा में पलट गये; सड़क के किनारे उस स्थान पर पत्थर की गट्टी का ढेर था; मेरे चेहरे का बाँया भाग पत्थरों पर टिक गया; गति कम होने के कारण MOTORCYCLE बंद हो गया; हम दोनों के वज़न  के साथ MOTORCYCLE का वज़न का भार भी मेरे चेहरे पर पड़ गया; हमने ऊँठ गाड़ी वाले को आवाज़ें लगाई, उसने वापस आकर हमें उठाया; इतना होने पर भी मैं MOTORCYCLE चला कर मंगलगढ़ चला गया, वापसी पर हम तीन आये, 
लगभग १० बजे वापस घर पहुंचे, तब तक मेरे चेहरा सूज गया था; पिताजी और चाचाजी तुरंत रायसिंहनगर  लेकर गये; तो पता चला कि बाईं आँख में घाव हो गया था और उसके नीचे वाली बाएं गाल कि हड्डी भी टूट गई थी; डाक्टर राजपाल कुक्कड़ के अस्पताल में कई  दिन भर्ती रहा, आँख में भी  INJECTION लगते थे; 
उसी दरम्यान करणपुर ओम के पिताजी का देहांत हो गया, पर ये बात मुझे नहीं बताई गई; 
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रविवार, 25 मई 2014

YAADEN (142) यादें (१४२)

९ फ़रवरी १९८१ को श्री ओमप्रकाश जौहर  शादी थी; ससुराल में सबसे ज्यादा पूछ मेरी  होनी थी; उनके सारे रिश्तेदार कानपूर,  अम्बाला, यमुनानगर, कानपुर , दिल्ली से जो भी आये थे, मुझसे सभी हिलमिल के मिले, खूब उधम-धमाल हुआ, उन सबमें VIP मैं ही था; वैसे भी मेरी शादी के बाद ससुराल में पहला कारज था; उन सबसे मेरा झगड़ा एक ही बात पर होता था, कि वे अपनी और से जब मान-सम्मान स्वरूप रुपए देते थे तो मैं  लेता था, वे से मेरी शिकायत करते थे- आपका जवाई कैसा है ? शगुन  लेता !
वे भी नाराज़ ! मैं भी नाराज़ !! और मेरे सास-ससुर जी भी नाराज़ !!!
खैर कुल मिलकर बड़ा मज़ा आया;
बारात गंगानगर में आदर्श सिनेमा के पास स्वामी-समाज सभा कि धर्मशाला में ठहरी थी; श्री सत्यपाल असड़ी के निवास  86G राजकीय आवास में ढुकाव हुआ; और दूसरे दिन हम डोली लेकर घर रायसिंह नगर आ गये !
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रविवार, 18 मई 2014

YAADEN (141) यादें (१४१)

4BLD में गुरमेल सिंह बराड़ के पास scooter Lamby 150 था; जिसका उसने उपवैद्य सतनाम सिंह चावला के JAWA motorcycle के साथ तबादला कर लिया था; गुरमैल से मोटरसाइकिल RRK 2299 मैंने खरीद लिया था; उस समय तक जावा बंद होकर COMPANY ने Yezdi चला दिया था;
लगभग उन्ही दिनों मैंने शंकरलाल खीचड़ से एक national Panasonic tape-recorder R ३०००/- में खरीदा ; फिर मैंने एक Loud-speaker सेट भी R १३००/- में खरीदा; जब sky-lab गिरना था; और एक दो बार सूर्य-ग्रहण, चन्द्र-ग्रहण पर मैं अपनी छत पर लगा कर भजन बजाता था;
जग देया चन्नणा तू मुख लुका वे,
बाबा राम देव जी ओ थाने खम्मा घणी,
मैं तो आरती उतारू ऐ संतोषी माता;
०१/०४/१९८१  को road-accident होने के बाद माँ-बाप ने मुझे motor-cycle नहीं चलने दिया; ताराचन्द मुनीलाल वाले शांति स्वरुप अग्रवाल (बँसल मेडिकल स्टोर रायसिंह नगर ) का लड़का गोविन्द उस समय हमारे घर रह कर गाँव में डाकटरी का काम करता था; motorcycle  दिया; ये LOUD-SPEAKER Set मैंने एक दो साल रख कर नानुवाला मंदिर में दे दिया था;

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रविवार, 11 मई 2014

YAADEN (140) यादें (१४०)


समय  से पहले और भाग्य से अधिक नहीं मिलता; इसका प्रत्यक्ष अनुभव हुआ; 1980 के दशहरे और दीपावली के बीच, काँगड़ा से  मित्र सतीश कुमार सूद आये,  उनके पिता जगतराम के नाम 3STB में मुरब्बा 210382 का कुछ झगड़ा था; हम दोनों रायसिंहनगर AMBIKA IRON STORE पर गये, हमारी खरीददारी के दौरान ही, कोई AGENT आया और दीपावली की भेंट स्वरुप दुर्गा माता का प्लास्टिक फ़ोटो दुकान पर दे गया; मुझे वह चित्र बहुत पसन्द आया, मैंने मांग लिया, और मोहनलाल गर्ग ने भेंट मुझे दे दी; वापस नानूवाला आ  गए, दुसरे दिन सुबह हमने अनूपगढ़ जाना था; घर से चलने लगे तो वह चित्र सतीश ने मांग लिया और मैंने दे  दिया; अनूपगढ़ दिन में काम करके, हम दोनों घड़साना की बस में रवाना होकर 6P के अड्डे पर उतरे फ़ोटो तो सतीश जी ने उतार लिया, पर मेरा स्वेटर बस में ही चला गया; वहाँ से हम दोनों पैदल पण्डित बक्शी राम जी की ढाणी  अँधेरा होने पर पहुँचे, पण्डित जी का लड़का अशोक उस वक़्त बीकानेर पढ़ता था; रात वहाँ रुककर सुबह जब चलने लगे; तो सतीश जी ने फ़ोटो और स्वेटर की कहानी पंडित जी को सुनाई; उन्होंने फ़ोटो देखी, और मांग ली !

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रविवार, 4 मई 2014

YAADEN (139) यादें (१३९)

ओम ठेकेदार ने हमसे ब्याज़ पर रकम ली; बाद  काम बढ़ाने का कह कर उसने  हमारी २५% साझेदारी की बात कह कर और रकम ली; मेरे  जोर देने पर पिताजी मान गये; उसी दरम्यान सुखपाल सिंह निवासी 3W करणपुर भी साझेदार बना; शायद २९ अगस्त, १९८१ को मेरे मोटरसाइकिल, RRK 2299 पर 3W गये, उस समय रायसिंह नगर-गजसिंहपुर-करणपुर सड़क नहीं थी; हमें पदमपुर-करणपुर -केसरीसिंहपुर होकर जाना पड़ा था; मुझे अच्छी तरह से याद है, उन्होंने नई फूलगोभी की सब्ज़ी बनाई थी; पर अभी २०१३ में सितम्बर में भी गोभी बाज़ार में नज़र नहीं आई;
एक दो बार वह भी हमारे घर रुका था; कुल मिलाकर ओम के साथ साझेदारी हमें फलदाई नहीं  हुई;और हमारी  डूब  गई; दो-चार बार हम दोनों बाप-बेटा बल्लेवाला उसके घर भी गये; पर कोई फायदा नहीं हुआ; उसने एक गाय दी, न तो उससे लेनदारी चुकता हुई, न ही हमारे लिए लाभदायक हुई; शायद वह खुद तपैदिक रोगी था; बाद में उसकी मृत्यु हो गयी थी; मुझे आज भी उसकी हालात का दुःख है; और मानता हूँ कि; हमें उससे गाय नहीं लेनी चाहिए थी !   
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रविवार, 27 अप्रैल 2014

YAADEN (138) यादें (१३८)

१९७७ में जब मैं और ओम सतजंडा में सुखदेव सिंह जी के पास training में थे, तो बल्लेवाला (38NP) निवासी ओमप्रकाश बिश्नोई सुथार, और उसका छोटा भाई, अक्सर आते रहते थे; वे दोनों चिनाई के कारीगर थे; बाद में पड़ौसी गाँवो के निवासी होने से वह यदा-कदा हमारे घर भी आने लगा था; उसने 25PS में पक्का खाला बनाने का ठेका लिया, मैंने उसकी सिफारिश करके पिताजी से उसे कुछ रकम उधार दिलवा दी; मैं जब कभी रायसिंह नगर जाता तो, उसका काम देखने भी चला जाता था;  दादा गुरदीत्तमल जी के लड़के जगदीश को भी हमने उसके साथ कर दिया था;
उसी जगह काम करने वाले बाहर से आये एक मिस्त्री ने अपना सोना बेचने कि पेशकश की; मैंने सुनार से जाँच करवाकर वो सोना खरीद लिया; कुछ पैसे ताराचंद मुनीलाल वाले मोहन लाल जी से और कुछ पैसे बजरंगलाल सतयनारायण वाले सत्यनारायण से लेकर और कुछ पैसे मैंने अपने पास से कुल   R ५५००/- उसे दे दिये, बाकी सात-आठ सौ रूपए कुछ दिन बाद देने का वायदा किया; हालाँकि जगदीश ने मुझे आगाह भी किया कि, जो सोना हमने TEST करवाया था, उसने उसे बदल कर दे दिया  है; पर मैंने इसे जगदीश का वहम माना; मैं ताराचंद मानमल जौड़ा कि दुकान पर गया; मानमल जी ने बताया कि सोना नकली है;
 ये वर्ष १९७८ या १९७९ दीवाली का दिन था, जब वणिक-पुत्र इस दिन कुछ कमाकर घर में लाते है; मैं ५५००/- यानि कि मेरी एक वर्ष से ज्यादा की कमाई लुटाकर घर आया था;
मुझे अच्छी तरह से याद है, वह कथित सोना, कपडे के थैले में, उसके ऊपर सेव, साइकिल की टोकरी में डालकर मैं घर लाया था;
जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
Ashok 9414094991, Tehsildar ; Sri Vijay Nagar 335704 
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रविवार, 20 अप्रैल 2014

YAADEN (137) यादें (१३७)

श्री ओमप्रकाश-निशिबाला कि सगाई के कुछ दिन बाद मैं अपनी सास श्रीमती शीला देवी और साली प्रमिला के साथ श्रीगंगानगर शगुन देने गया था; उस समय तक जवाहर नगर नहीं बना था; इंदिरा कॉलोनी से दक्षिण दिशा, वर्त्तमान  UIT सामुदायिक केंद्र, खुराना होटल, गर्ग हॉस्पिटल आदि जगह पर बेरी का बाग़ था; वर्त्तमान सुखाडिया मार्ग की मिटटी डल रही थी; SD COLLEGE /SCHOOL से दक्षिण-पूर्व भी लगभग खाली था; बिहाणी पेट्रोल पम्प के दक्षिण दिशा वाली गली से हम रिक्शा पर कपूर साहब के घर ४४ तिलक नगर गये; उस समय नाम और नंबर नहीं थे; एक दो घर छोड़ कर तिलक नगर कि बसावट नहीं हुई थी;
हम इंदिरा कॉलोनी गये वहाँ मेरे साथ मज़ाक हुआ; मेरे लिए पीने का जो पानी आया, उसमें बहुत सारा नमक घुला हुआ था, मैंने ने नहले पर दहला जड़ दिया और शांति से पानी पी गया; पानी देने वाले हैरान/ परेशान  हो गये कि नमक वाला पानी किसी दूसरे के पास चला गया; भाभी जी कि बड़ी बहिन श्रीमती ऊषा तुली ने मुझसे पूछा जीजाजी पानी और लाऊँ ? मुझे पक्का यकीन हो गया कि नमक इन्होंने ही मिलाया है; शादी के कुछ साल बाद पता चला कि वह भाभी जी की सहेली सोमा की शरारत थी;


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रविवार, 13 अप्रैल 2014

YAADEN (136) यादें (१३६)

जुलाई १९८० में मेरे बड़े साले श्री ओमप्रकाश जौहरकी सगाई, श्रीगंगानगर इंदिरा कॉलोनी गली नम्बर ९, मकान नम्बर १४१, निवासी श्री रल्ला राम असड़ी की  सबसे छोटी पुत्री निशीबाला के साथ हुई थी; वह खुद और बनारसी दास जी मल्होत्रा के पुत्र श्री अनिलकुमार  मुझे लेने आये थे, उनकी जीप का नम्बर मुझे याद है- ४९९४; स्वर्गीय श्री श्रीराम कपूर ने रिश्ता करवाया था; इन दोनों परिवारों के साथ मेरी पहली मुलाकात उस वक़्त रायसिंहनगर ससुराल में ही हुई थी;
बाद में इन दोनों परिवारो के साथ मेरा अच्छा मेल-मुलाकात रहा; मेरे साले के सास-ससुर नेकदिल मिलनसार थे, उनके बड़े पुत्र श्री सत्यपाल असड़ी कलक्टरेट श्री गंगानगर से कार्यालय सहायक के पद से सेवा निवृत हुए, अक्तूबर २००७ में उनका दिल्ली में देहांत हुआ; बड़ी पुत्र-वधु श्रीमती कैलाश असड़ी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय श्रीगंगानगर (मटका चौक) में वरिष्ठ अध्यापक के पद से सेवा निवृत हुई; एक विशेष बात ये कि दोनों पति-पत्नी एक ही दिन ३० जून को सेवा निवृत हुए थे; वे अब अपने पुत्रों के पास दिल्ली/ मोहाली/ श्रीगंगानगर रहती हैं ;

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रविवार, 6 अप्रैल 2014

YAADEN (135) यादें (१३५ )

ओम व उसके परिवार के साथ हमारा सम्पर्क लगातार पहले जैसा बना रहा; उसकी शादी में मैं दो-तीन दिन करणपुर रुका; उसकी छोटी बहिन नर्मदा और भाई मदन की शादी में भी ऐसा ही हुआ; उनका पैतृक गाँव रेवाड़ी के पास डहीना जैनाबाद है, तीनों रिश्ते भी उधर ही किये; उसके ससुर उस समय धरांगधरा (गुजरात) में नौकरी करते थे; हमारे घर नानूवाला भी उनके परिवार का खूब आना-जाना लगा रहता था;  मई १९८० में मेरी छोटी बहिन सरोज कि शादी हुई ; उसका FURNITURE हमने उनसे ही बनवाया था; करणपुर से मैं ऊँठगाड़ी में लादकर नानूवाला लेकर आया था;  

ओम नहाने के लिए, पहले बाल्टी में गर्म पानी डालता, और बाद में ठण्डा मिलाता ! मेरी विचारधारा  उलट है, कि गर्म पहले डालने से तेज वाष्पन  तापमान  जल्दी और ज़यादा कम होगा;  पर भौतिक-शास्त्र  Physics के सिद्धांत से उसकी  सोच भी सही  है, गर्म पानी हल्का होने से ऊपर रहेगा, और नीचे बाल्टी में पानी ठण्डा रह जायेगा ! 


लगभग उन्हीं दिनों उसके पिता रामचंद्र जी को गले की बीमारी हो गयी थी; बीकानेर PBM में इलाज चलता था; अप्रैल १९८१ में उनका देहांत हो गया; उस समय मैं ROAD ACCIDENT के कारण रायसिंहनगर  भर्ती था; मुझे किसी ने नहीं बताया;  

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रविवार, 30 मार्च 2014

YAADEN (134) यादें (१३४)

हमारे बाद जगदीश प्रसाद की नियुक्ति भी पूर्व खण्ड में हुई; विजयनगर ज़िलेदारी में कुल ११ पटवारी हो गये, नई  हल्क़ा-बंदी में चक 1BLD, 2BLD, 2BLDA जगदीश के पास चले गये, 3BLD व 5STBA मेरे पास नये आ गये, मेरे हलके का नाम बदलकर 4BLD प्रथम, और जगदीश वाले का नाम 4BLD द्वितीय हो गया; 268RD ज़िलेदारी में जगदीशचन्द्र बिश्नोई और ओमप्रकाश यादव नये पटवारी लगे,   मेरे प्रशिक्षण-काल के साथी, ओमप्रकाश शर्मा की नियुक्ति RCP में नहीं हो सकी, उसने हरयाणा में भी प्रयास किया था; फिर बाद में उसकी नियुक्ति राजस्थान में ही उनियारा जिला टोंक CAD में हो गयी थी; एक दो साल प्रयास करके उसने GANG-CANAL में करणपुर स्थानांतरण करवा लिया; 2001-02 में सिंचाई विभाग के  पटवारी, जिलेदार, DC  के पद समाप्त करके इन्हे राजस्व-पटवारी, जिलेदार, नायब तहसीलदार  के रूप में समायोजित किया गया; बाद में फिर सिंचाई विभाग में पद सृजित करके वापस भेजा गया; कुछ इधर रह गये, कुछ उधर चले गये;  


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रविवार, 23 मार्च 2014

YAADNE (133) यादें (१३३)

सितम्बर १९७९ में ILR सीधी भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा बीकानेर में हुई; मैं और गुरजंट सिंह रायसिंहनगर से रात ११ बजे वाली रेलगाड़ी से रवाना हुए , इसका बीकानेर पहुँचने का सुबह ६ बजे था; और हमारी परीक्षा ७.३० से शुरू होनी थी ; उस वक़्त तक बठिंडा से हनुमानगढ़ सूरतगढ़ तक बड़ी लाइन चालू थी पर हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर-सुरतगढ़ -बीकानेर-जोधपुर METER-LINE ही थी ; 
हमारी गाड़ी सुबह तकरीबन ८ बजे बीकानेर जंक्शन पहुंची; गनीमत ये की मुझे रास्ता ध्यान था और हम दोनों दौड़ते हुए FORT SCHOOL पहुंचे;   तकरीबन ८.२० पर हम पहुंचे, शुक्र हुआ की संस्था प्रधान ने हमें अन्दर बैठने की इजाज़त दे दी; शायद प्रथम पेपर सामान्य ज्ञान का था; हम दोनों ने ९.३० तक पेपर पूरा कर लिया; यानि कि निर्धारित समय १० बजे से आधा घंटा पहले; बिलकुल श्रीगंगानगर त्रिपुली जैसी कहानी का दोहराव हो गया था;  
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रविवार, 16 मार्च 2014

YAADEN (132) यादें (१३२)

ILR की परीक्षा जून 1979 में होनी थी; हम दोनों के प्रवेश पत्र नहीं आये तो हम दोनों CYCLE पर मोहननगर रवाना हुए, समेजा नहर की पटरी पर वही पुराना 25NP स्कूल वाला रास्ता और उससे आगे मोहन नगर रेलवे स्टेशन फिर 22NP पर वहां उपडाकघर में भी हमें डाक की जानकारी नहीं मिली तो हम दोनों ने रायसिंहनगर जाने की ठानी;   रेल की पटरी के साथ १२ किलोमीटर रेतीला रास्ता और जून की दोपहरी; साइकिल चलने का भी रास्ता नहीं; हम दोनों पटरियों के बीच CYCLE को बारी-बारी खींचते हुए 12TK तक पहुंचे; बिश्नोईयों के एक घर में पानी पिया; बाद में गुरजंट मजाक करने लगा-
ਇਹਨਾ ਨੂੰ ਕੀ ਪਤਾ ; ਇਹਨਾਂ ਨੇ ਦੋ ਗਰਦੌਰਾਂ ਨੂੰ ਅਜ ਪਾਣੀ ਪਾਲਾਯਾ ਹੈ; इनको पता नहीं कि इन्होने दो भावी गिरदावरों को पानी पिलाया है;
इस तरह गिरते-पड़ते आखिर हम रायसिंहनगर डाक घर पहुंचे पर वहां भी हमें डाक का पता नहीं चला; और हम वापस अपने गाँव नानुवाला आ गए;

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रविवार, 9 मार्च 2014

YAADEN (131) यादें (१३१)

पटवारी बनने के बाद मेरे चयन Bank of India में भी हो गया, किन्तु मैं type-test के लिए नहीं गया; इसी AIR INDIA या शायद किसी और परीक्षा केलिए मैं दिल्ली HAUZ-khas  भी गया  था; 1979 में मैंने और गुरजंट सिंह ने भू-अभिलेख निरीक्षक Inspector of Land Records के लिए आवेदन किया; उस समय मैं राजस्व विभाग के तौर-तरीकों से ज्यादा परिचित नहीं था; मुझे सिर्फ जिलाधीश, उपजिलाधीश, तहसीलदार के बारे में सिर्फ साधारण जानकारी ही थी; बाकी प्रशसनिक व्यवस्था का मुझे  ज्ञान नहीं था; मुझे अच्छी तरह याद है, जब हम दोनों आवेदन जमा करवाने श्रीगंगानगर गये, तो वहां रामकिशन ASQ (सहायक सदर कानूनगो ) ने हमारे FORM जमा किये थे; बाद में रामकिशन जी मेरे अच्छे मित्रों में से रहे हैं; 
मुख्य परीक्षा से पूर्व 2.30 घंटे में 8 मील पैदल चलने की परीक्षा थी;
अप्रैल 1979 की एक सुबह हमें बुलाया गया; गंगासिंह चौक पर हमारी हाजरी दर्ज की गयी और डाल चंद सदर कानूनगो ने हमें त्रिपुली पर पहुँचने को कहा; हम दोनों आराम से चाय पीने बाज़ार चले गये कोई आधा घंटा बाद वापिस आये तो गंगासिंह चौक पर कोई नहीं था; हम दोनों ही उस वक़्त  तक गंगानगर के भूगोल और नामावली से अपरिचित थे; पूछते-पछाते जब तक हम त्रिपुली पहुंचे, सब लोग सधुवाली रवाना हो चुके थे;  लगभग हमें तकरीबन एक घंटे की देरी हो चुकी थी; हम त्रिपुली से Z Minor की पटरी पर पूर्व में साधुवाली को तेज़ क़दमों से रवाना हो गये; रस्ते में दुसरे अभ्यर्थी हमें वापस आते मिले; हमने हिम्मत नहीं हारी, साधुवाली पहुंचकर हाजरी दर्ज करवाई और तेज क़दमों से वापस पलटे ; इस तरह हम सही वक़्त के अन्दर ही वापस त्रिपुली पहुँच गए; 



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रविवार, 2 मार्च 2014

YAADEN (130) यादें (१३०)

नहरी पटवारी रहने के दौरान ही मैंने अन्य प्रतियोगी परीक्षाये भी दी; प्रत्येक शुक्रवार को विजयनगर रकम जमा करवाने आना होता था; उस वक़्त राजस्थान पवार संघ के प्रांतीय अध्यक्ष ईश्वरी प्रसाद गौड़ थे; श्री गंगानगर के जिलाध्यक्ष चानणराम थे; सिंचाई उसमें ही शामिल था; विजयनगर सिंचाई (RCP) के अध्यक्ष राजाराम थे; जैतसर उपखंड (गंग-नहर) के अध्यक्ष शंकरलाल जोशी थे; उन्ही दिनों हनुमानगढ़ के एक जिलेदार बिश्नोई जी ने सिंचाई विभाग के पटवारी, जिलेदार व DC (Deputy Collector) को शामिल करते हुए,  राजस्थान भू सिञ्चन सँघ के नाम से अलग संघ गठन किया; जिसमे मुझे संगठन मंत्री के रूप में नामित किया; किन्तु मैंने उसमें रूचि नहीं ली !


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रविवार, 23 फ़रवरी 2014

YAADEN (129) यादें (१२९)

4BLD में दर्शन सिंह बराड़, का घर था; उनके बड़े भाई जसवंत सिंह उस समय विश्व खाद्य कार्यक्रम RCP श्रीविजयनगर में परियोजना प्रबंधक (तहसीलदार) थे ; उनके पिता  करतार सिंह और ताया जवाहर सिंह, बड़े सरल, और नेक बुज़ुर्ग थे; मुझ पर उनका काफी स्नेह था; 4BLD चक सीमा में उत्तर-पूर्व में उनकी ४ मुरब्बे की चौकड़ी ठाकरों से खरीद शुदा (100 बीघा= 62.5 एकड़= 25.29 HECTARE ) नहरी थी; जवाहर सिंह जी का लड़का गुरमेल सिंह, मेरा हम उम्र था; ग्राम पंचायत बिलोचिया के सरपंच देवीसिंह राठौड़ 2STB ढाणी में रहते थे; 2STB में ही JUSTICE जवान सिंह राणावत ( राणावत वेतन आयोग, के अध्यक्ष ) और उनके बेटों व परिवार के नाम कुल 14 मुरब्बे =350 बीघा =219 एकड़ = 88.5 Hectare नहरी कृषि भूमि थी; 3STB  कल्याण सिंह, जगमाल सिंह राजावत, 4STB में भालेरी ठाकुर नाहर सिंह (तत्कालीन SDM SRIGANGANAGR /राजवी पैलेस हनुमानगढ़ टाउन ) व उनके परिवार की ज़मीन थी; 4BLD में ही खुड़ी ठाकुर देवीसिंह व उनके परिवार, मालासी ठाकुर और BDO रतनसिंह, 1BLD में लूंछ ठाकुर रघुनाथ सिंह (थानेदार) व उनके परिवार;  की ज़मीने  थीं;  4BLD प्राथमिक  विद्यालय में टहलसिंह अध्यापक थे; विजयनगर और घडसाना तहसीलें नहीं थी ; राजस्व पटवारी मदन लाल लाहोरा उपनिवेशन पटवारी शिवरतन मोदी और कृषि पर्यवेक्षक पूरण चंद , भागीरथ और कृषि विकास अधिकारी  जगदीश नेहरा और गुरबक्श सिंह थे; नौकरी और उम्र  हिसाब से  छोटा मैं ही था;

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रविवार, 16 फ़रवरी 2014

YAADEN (128) यादें (१२८ )

 लेखपाल मंडल 4BLD में चक 1BLD 2BLD 2BLDA 4BLD 2STB 3STB 4STB 5STB थे; जिलेदार कार्यालय में काम करते हुए मुझे यह अच्छी तरह पता चल गया था, कि यह भूत-पूर्व जागीरदारों का इलाका है; जो आदतन सिंचाई शुल्क जमा नहीं करवाते, उनकी देखा-देखी दूसरे लोगों ने भी वैसा ही रवैया अख्तियार कर लिया है; पहले 2STB से 8STB तक एक ही हल्का था जिस पर ओम प्रकाश पटवारी थे; जो स्वाभाव से भी ढीले ही थे, इस हल्के की वसूली औसतन 30-40 प्रतिशत रहती थी;
मैंने मन ही मन चुनौती को स्वीकार किया और जिलेदार जी सोहनसिंह भुप्पल से सलाह करके, उपनिवेशन तहसील विजयनगर से आवंटन सूचियाँ प्राप्त कर ली;  जिन-जिन कृषको के दो या अधिक फसलों की सिंचाई शुल्क जमा नहीं थी उन सबका पानी काट कर, सभी चकों की पक्की वारियां बना दी; और जब पहली बार हल्के में गया,तो ढाणी-ढाणी जाकर,  अपना परिचय देते हुए, वाराबंदी की पर्चियां बाँट दी;  पूरे हल्के में हडकम्प मच गया; मुझे धमकियाँ मिलनी भी शुरू हो गयी;
2BLD में नोखाराम ओड, 1BLD में सुगन सिंह, और रघुनाथसिंह लूंछ ( थानेदार), 3STB में आनंद कँवर, शिमला ठाकर, 5STB  में भैरोसिंह घोटडा, विजयसिंह कातर,  कानसिंह, सब मुझसे जबरदस्त रुष्ट हुए; नोखा राम ओड ने तो कहा- मैं थप्पड़ मार द्यूं तसीलदार नै; तू तो पटवारी है;
आज मुझे लगता है;  मेरे तहसीलदार बनने नोखाराम के शब्द भी कारक हैं;

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रविवार, 9 फ़रवरी 2014

YAADEN (127) यादें (१२७)


16जून से अगस्त 1978 तक मैं और सतनाम सिंह जिलेदार कार्यालय विजयनगर में कार्य करते रहे; सोहन सिंह भुप्पल जिलेदार थे; नौकरी लगते ही सबसे पहला काम मैंने ये किया कि विभाग से अन्य नौकरियों में आवेदन करने का NO OBJECTION CERTIFICATE प्राप्त किया; जो बाद में 1981 में मेरी लड़ाई का मुख्य आधार बना; सोहन सिंह जी के पास मैंने अढाई महीने तक दिल लगा कर काम किये; मैंने उनसे काफी कुछ सीखा; कागज़ में ALL-PIN और CARBON लगाने का तरीका, दोनों तरफ कागज़ मोड़कर, हाशिया छोड़ने का तरीका, लिखते-लिखते रुकने पर कार्बन को निकाल कर अलग रखना, कार्बन के अन्दर ALL-PIN न लगाना, पत्र प्राप्ति-प्रेषण, आने वाला मूल पत्र आगे किसी को भेजने पर DISPATCH में o लगाना आदि; तब तक सूरतगढ़ शाखा, पूर्व खंड जिलेदारी में 8 पटवारी - बद्रीराम, फ़तेह सिंह चौधरी, रूपसिंह राठौड़, शिवदयाल, चेलाराम, सुभाष चन्द्र दुआ, प्रेम सिंह चावला और रामपाल थे; हमारे आने से पुनर्गठन होकर दो नये पटवार मंडल 4BLD पर मुझे व रतनेवाला पर सतनाम सिंह को लगाया;

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रविवार, 2 फ़रवरी 2014

YAADEN (126) यादें (१२६ )

और इस  तरह मैं नहरी पटवारी  बन गया. मुझसे दुसरे दिन 17/06/1978 शनिवार को सतनाम सिंह नहर (निवासी मटीली राठान ) उपस्थित हुआ था; उस समय पूर्व-खंड में  बुज़ुर्ग पण्डित जी बड़े-बाबु थे; उनका पुत्र पास में ही चाय की दुकान करता था; एक वाकया ये हुआ की, हम दोनों पटवारी के पद पर उपस्थित तो हो गये; पर नियुक्ति अधिकारी ने आदेश जारी नहीं किया था; कुछ दिनों बाद सतनाम ने मुझे बताया की नियुक्ति आदेश 16 की बजाय 19 जून को जारी किये हैं; इसलिए बड़े बाबू जी ने कहा है कि 19/06/1978 की तारीख में उपस्थिति लिख कर दो; सतनाम ने तो दुबारा लिख दिया; पर उनके काफी जोर देने पर  मैंने दुबारा नहीं लिखा; तो उनको  नियुक्ति आदेश का नंबर(बी) लिख कर 16/06/1978 में ही जारी करना पड़ा; इस तरह शुरुआत ही एक तरह की अदावत से हो गयी; मेरे प्रति खंडीय कार्यालय में एक तरह से धारणा बन गयी, कि ये किसी का कहना नहीं मानता; उस वक़्त हंसराज गक्खड़ राजस्व लिपिक और मथुरा दास खंडीय लेखाकार थे;   बिलोचिया उपखंड , श्रीविजयनगर में मेघनाथ तथा जगदीश कुमार सर्वा लिपिक और सत्यापाल टैगौर सहायक अभियंता  थे; उन्हीं के पास अधिशासी अभियंता पूर्व खंड, सूरतगढ़ शाखा, का भी कार्यभार था;  वे हमेशा सजे-संवरे रहते थे; धीरे किन्तु सख्त लहजे  में बात करते थे ;

रविवार, 26 जनवरी 2014

YAADEN (125) यादें (१२५ )

भोपाल विश्वविद्यालय से मेरी BA (1976-78) बीच में रह जाने के बाद मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्राचार पाठ्यक्रम से BCom Honours में प्रवेश ले लिया था; मई के दूसरे सप्ताह में हमारी नियुक्ति हो जाने से , मैंने  15 मई को GKS Bank रायसिंहनगर से त्याग-पत्र दिया और 16 जून 1978 शुक्रवार को सूरतगढ़ शाखा, पूर्व खंड, RCP CAD श्री विजय नगर के अधिशासी अभियन्ता (XEn ) कार्यालय में सिंचाई पटवारी के पद पर उपस्थित हुआ;
उस दिन एक विशेष घटना हुई; कि मैं सुबह  8.45 की बस नम्बर 2539 से रवाना हुआ; मोहन ड्राईवर तथा काला ( असल नाम मुझे मालूम नहीं) conductor  थे; बाजूवाला में सूरतगढ़ शाखा के पुल ( RD302) से रवाना होकर जब बस लगभग आधा किलोमीटर आगे 2BLD वाले मोड़ से पूर्व को मुड़ने लगी तो सड़क पर एक REVOLVER मय खोल पड़ा था; Driver side  का   ऊपर से गुज़र गया था; conductor ने उसे उठाकर बस में रख लिया; शाम को 5 बजे मैं वापिस रवाना हुआ तो उसी बस का नंबर था; वापसी में रिवाल्वर का मालिक सरदार जी थानेदार मिल गए , यह उनका service revolver था; जो उन्हें वापस लौटा दिया;

रविवार, 19 जनवरी 2014

YAADEN (124) यादें (१२४)

मेरे GKS Bank में रहने के दौरान ही छोटी बहिन सरोज की सगाई रायसिंहनगर राजेन्द्र सहगल से हुई।
इसी बीच बड़े मामा जी के साथ मैं अपने नानाजी की जमीन का नामांतरकरण करवाने भू-प्रबंध विभाग बीकानेर गया। लगभग उसी दरम्यान सूरतगढ़ में हमारे interview हुये, मैं, ओम और उसके पिताजी भी साथ थे;  मुझे पूछा- sin 60 की value क्या है ? मैंने झट से जवाब दिया- ^/3 /2 [ under root three by two ]

उस वक़्त बठिंडा से सूरतगढ़ बड़ी लाइन का उद्घाटन एक दो दिन पहले ही रेल मंत्री मधु दंडवते ने सूरतगढ़ आकर किया था ; उसी दिन मुझे दिल्ली किसी और interview /test के लिए भी जाना था; शायद हौज़ खास, या फिर greater KAILASH !
सूरतगढ़ से दिल्ली का टिकेट ओम के पिताजी लाये थे, 2 रुपये बच गए, तो वे 5 कचोरियाँ ले आये थे, जो मैंने रास्ते में खाइ. उससे पहले मैंने दाल मोठ वाली राजस्थानी कचोरी,या कोई भी कचोरी न देखी और न खाई थी; सिर्फ मुंशी प्रेम चन्द  की कहानी- बूढ़ी काकी, High school में पढ़ा था;


रविवार, 12 जनवरी 2014

YAADEN (123) यादें (१२३)

GKS Bank में मैं क्लर्क के पद पर था; कृष्ण लाल पूनिया cashier थे, manager का पद खाली होने से, ओम प्रकाश सहारण कार्यवाहक प्रबंधक थे, रघुबीर सिंह गार्ड था; पृथ्वीराज ड्राईवर था; वहां पर ग्राम सेवा सहकारी समितिओं का काम ज्यादा था; दूसरा हुण्डी का काम था; यानि कि कोई कम्पनी स्थानीय व्यापारी को सामान की बिल्टी भेजती और उसकी रकम वसूली करके कागज़ात व्यापारी को देने और रकम कंपनी को demand draft या सम्बंधित बैंक को सीधे ही कंपनी के खाते में जमा करने की invoice भेजने का काम बैंक के जुम्मे होता था; daily account  और ledger दोनों प्रकार की बहियाँ मैं लिखता था;
 एक दिन न्याय विभाग कर्मचारी संघ का कोई ड्राफ्ट बनाना था; मुझे लिखाई समझ नहीं आई, और मैंने चाय विभाग के नाम का DD बना दिया
एक बार 25000 /- का DD बनाना था, मैंने गलती से CARBON उल्टा लगाने की बजाय सीधा लगा दिया; और एक की बजाय दो DD बन गये; मैंने ओम जी को बताया, तो उन्होंने नीचे कार्बन वाला CANCEL किया;     ३ 

रविवार, 5 जनवरी 2014

YAADEN (122) यादें (१२२)

SBBJ में केशियर के रूप में कार्य करते हुए, सरकारी विभागों व व्यापारियों तथा संस्थाओं की जमाये प्राप्त होती थीं ; तब तक रायसिंहनगर में SBI की शाखा नहीं थी; भारत सरकार के खाते में जमा रकम का जोड़ लगाकर ठीक 2 बजे SBI श्रीगंगानगर के नाम का DEMAND DRAFT भी बनाना होता था; 31 मार्च को हमने रात 11 बजे तक जमाये ली; काला धन निकालने के लिए 1978 से पहले 1000 रुपये के नोट बंद हो चुके थे, हमारे बैंक में 27 नोट थे, जिन्हें रोज़ OPENING CASH और CLOSING CASH में गिनना होता था; मैंने पहली बार एक हज़ार का नोट वहीँ देखा देखा था; पाँच सौ रुपये का नोट मैंने नहीं देखा; तब एक सौ रूपये का नोट सबसे बड़ी मुद्रा हो गयी थी;   
     बाकी संस्थाओं के साथ-साथ पंजाब नेशनल बैंक, गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक (GKS Bank) और भूमि सहकारी बैंक की जमायें भी हमारे बैंक में आती थी;  उस समय GKS बैंक से ओम प्रकाश सहारण लेन-देन के लिए आते थे; पता नहीं उनको मुझमें क्या नज़र आया कि एक दिन मुझसे बोले- आप यहाँ कब तक काम करोगे ? मैंने बताया कि 22 अप्रैल तक, वे बोले उसके बाद चाहो तो हमारे बैंक में आ जाना; पर हम आपको 10 रूपये दैनिक के हिसाब से ही वेतन देंगे;
मैंने 22 अप्रैल तक SBBJ में 460 / रूपये मासिक के हिसाब से काम किया और 24.04.1978 सोमवार को GKS Bank में 300 / के हिसाब से लग गया,