रविवार, 26 जनवरी 2014

YAADEN (125) यादें (१२५ )

भोपाल विश्वविद्यालय से मेरी BA (1976-78) बीच में रह जाने के बाद मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्राचार पाठ्यक्रम से BCom Honours में प्रवेश ले लिया था; मई के दूसरे सप्ताह में हमारी नियुक्ति हो जाने से , मैंने  15 मई को GKS Bank रायसिंहनगर से त्याग-पत्र दिया और 16 जून 1978 शुक्रवार को सूरतगढ़ शाखा, पूर्व खंड, RCP CAD श्री विजय नगर के अधिशासी अभियन्ता (XEn ) कार्यालय में सिंचाई पटवारी के पद पर उपस्थित हुआ;
उस दिन एक विशेष घटना हुई; कि मैं सुबह  8.45 की बस नम्बर 2539 से रवाना हुआ; मोहन ड्राईवर तथा काला ( असल नाम मुझे मालूम नहीं) conductor  थे; बाजूवाला में सूरतगढ़ शाखा के पुल ( RD302) से रवाना होकर जब बस लगभग आधा किलोमीटर आगे 2BLD वाले मोड़ से पूर्व को मुड़ने लगी तो सड़क पर एक REVOLVER मय खोल पड़ा था; Driver side  का   ऊपर से गुज़र गया था; conductor ने उसे उठाकर बस में रख लिया; शाम को 5 बजे मैं वापिस रवाना हुआ तो उसी बस का नंबर था; वापसी में रिवाल्वर का मालिक सरदार जी थानेदार मिल गए , यह उनका service revolver था; जो उन्हें वापस लौटा दिया;

रविवार, 19 जनवरी 2014

YAADEN (124) यादें (१२४)

मेरे GKS Bank में रहने के दौरान ही छोटी बहिन सरोज की सगाई रायसिंहनगर राजेन्द्र सहगल से हुई।
इसी बीच बड़े मामा जी के साथ मैं अपने नानाजी की जमीन का नामांतरकरण करवाने भू-प्रबंध विभाग बीकानेर गया। लगभग उसी दरम्यान सूरतगढ़ में हमारे interview हुये, मैं, ओम और उसके पिताजी भी साथ थे;  मुझे पूछा- sin 60 की value क्या है ? मैंने झट से जवाब दिया- ^/3 /2 [ under root three by two ]

उस वक़्त बठिंडा से सूरतगढ़ बड़ी लाइन का उद्घाटन एक दो दिन पहले ही रेल मंत्री मधु दंडवते ने सूरतगढ़ आकर किया था ; उसी दिन मुझे दिल्ली किसी और interview /test के लिए भी जाना था; शायद हौज़ खास, या फिर greater KAILASH !
सूरतगढ़ से दिल्ली का टिकेट ओम के पिताजी लाये थे, 2 रुपये बच गए, तो वे 5 कचोरियाँ ले आये थे, जो मैंने रास्ते में खाइ. उससे पहले मैंने दाल मोठ वाली राजस्थानी कचोरी,या कोई भी कचोरी न देखी और न खाई थी; सिर्फ मुंशी प्रेम चन्द  की कहानी- बूढ़ी काकी, High school में पढ़ा था;


रविवार, 12 जनवरी 2014

YAADEN (123) यादें (१२३)

GKS Bank में मैं क्लर्क के पद पर था; कृष्ण लाल पूनिया cashier थे, manager का पद खाली होने से, ओम प्रकाश सहारण कार्यवाहक प्रबंधक थे, रघुबीर सिंह गार्ड था; पृथ्वीराज ड्राईवर था; वहां पर ग्राम सेवा सहकारी समितिओं का काम ज्यादा था; दूसरा हुण्डी का काम था; यानि कि कोई कम्पनी स्थानीय व्यापारी को सामान की बिल्टी भेजती और उसकी रकम वसूली करके कागज़ात व्यापारी को देने और रकम कंपनी को demand draft या सम्बंधित बैंक को सीधे ही कंपनी के खाते में जमा करने की invoice भेजने का काम बैंक के जुम्मे होता था; daily account  और ledger दोनों प्रकार की बहियाँ मैं लिखता था;
 एक दिन न्याय विभाग कर्मचारी संघ का कोई ड्राफ्ट बनाना था; मुझे लिखाई समझ नहीं आई, और मैंने चाय विभाग के नाम का DD बना दिया
एक बार 25000 /- का DD बनाना था, मैंने गलती से CARBON उल्टा लगाने की बजाय सीधा लगा दिया; और एक की बजाय दो DD बन गये; मैंने ओम जी को बताया, तो उन्होंने नीचे कार्बन वाला CANCEL किया;     ३ 

रविवार, 5 जनवरी 2014

YAADEN (122) यादें (१२२)

SBBJ में केशियर के रूप में कार्य करते हुए, सरकारी विभागों व व्यापारियों तथा संस्थाओं की जमाये प्राप्त होती थीं ; तब तक रायसिंहनगर में SBI की शाखा नहीं थी; भारत सरकार के खाते में जमा रकम का जोड़ लगाकर ठीक 2 बजे SBI श्रीगंगानगर के नाम का DEMAND DRAFT भी बनाना होता था; 31 मार्च को हमने रात 11 बजे तक जमाये ली; काला धन निकालने के लिए 1978 से पहले 1000 रुपये के नोट बंद हो चुके थे, हमारे बैंक में 27 नोट थे, जिन्हें रोज़ OPENING CASH और CLOSING CASH में गिनना होता था; मैंने पहली बार एक हज़ार का नोट वहीँ देखा देखा था; पाँच सौ रुपये का नोट मैंने नहीं देखा; तब एक सौ रूपये का नोट सबसे बड़ी मुद्रा हो गयी थी;   
     बाकी संस्थाओं के साथ-साथ पंजाब नेशनल बैंक, गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक (GKS Bank) और भूमि सहकारी बैंक की जमायें भी हमारे बैंक में आती थी;  उस समय GKS बैंक से ओम प्रकाश सहारण लेन-देन के लिए आते थे; पता नहीं उनको मुझमें क्या नज़र आया कि एक दिन मुझसे बोले- आप यहाँ कब तक काम करोगे ? मैंने बताया कि 22 अप्रैल तक, वे बोले उसके बाद चाहो तो हमारे बैंक में आ जाना; पर हम आपको 10 रूपये दैनिक के हिसाब से ही वेतन देंगे;
मैंने 22 अप्रैल तक SBBJ में 460 / रूपये मासिक के हिसाब से काम किया और 24.04.1978 सोमवार को GKS Bank में 300 / के हिसाब से लग गया,