रविवार, 28 अक्तूबर 2012

YAADEN (60) यादें (६०)

छटी कक्षा के दरम्यान फरवरी 1968 में मामा मनोहरलाल जी शर्मा की शादी में मैं, उनकी बहिन (सीता मामी), पंडित रघुनाथदास जी और विश्वानाथ के साथ दिल्ली गया। बारात के लिया बाकायदा कपडे धोने का साबुन निमंत्रण के रूप में दिया गया था। उसके बाद ये परंपरा बंद हो गयी। 
 METER-LINE तक बठिंडा VIA हनुमानगढ़ आगे बड़ी गाड़ी। किशन गंज STATION पर उतर कर तांगे पर गए थे- ओमप्रकाश शर्मा; T-223A ईदगाह ROAD, सदर थाना; DELHI-6 आज भी मुझे जबानी याद है; कारण ये कि सारे खतो-ख़िताब मेरे हाथ से ही होते थे। दिल्ली में ये श्रीमती मूर्तिदेवी शर्मा का घर था, जो पंडित पुरुषोत्तमदास जी की बहिन थी; इस नाते मेरे माता-पिता भी उनको बुआ कहते थे; उनके बेटे ओमप्रकाश का विवाह पंडित जगन्नाथ जी की बहिन की बड़ी बेटी (मैना) के साथ (श्री योगराज शर्मा 26 सेवक आश्रम रोड; देहरादून) हुआ था।
  बारात सदर से KING'S WAY CAMP गयी थी, रात को वापस आने लगे तो मुझे अजीब सा लगा। हम लोग अच्छे से घूमे थे; जब हम BIRLA मंदिर में थे; तो लगभग उसी समय जापान के सम्राट का भी दौरा था। 
मैं दिल्ली से र 7/- की एक ATTACHEE और 3/- की कोयले वाली PRESS खरीद कर लाया था। किसी शहर में यह मेरी पहली बड़ी खरीददारी थी।

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ  
Ashok, Tehsildar  Srivijaynagar  9414094991

रविवार, 21 अक्तूबर 2012

YAADEN (59) यादें (५९)


25NP की पढाई के दौरान एक खास बात ये रही ; की SCHOOL भले ही कोई CYCLE पर  या पैदल जाते रहे हों; नवरात्रों में शाम को SCHOOL से आने के बाद रात का खाना पोटली में बांधते, और पैदल रायसिंहनगर की राह पकड़ लेते। वहां  तक़रीबन 1 बजे तक श्री राम नाट्य क्लब की रामलीला देखते और रात को खेतों में ककड़ी-मतीरे खाते हुए, 2.30- 3 बजे तक घर पहुंचते, सुबह उठकर फिर स्कूल जाते। पर कभी किसी साथी ने इस नींद या थकावट के कारण नागा नहीं किया था। 1970 में आठवीं पास करने पर यह क्रम अपने आप समाप्त हो गया।

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ  
Ashok, Tehsildar  Srivijaynagar  9414094991

रविवार, 14 अक्तूबर 2012

YAADEN (58) यादें (५८)

विद्यालय में झाड़ू-बुहारी; पेड़ों को पानी आदि काम उस समय ख़ुशी-ख़ुशी किये जाते थे। माँ-बाप भी इसे अच्छा मानते थे। मैंने भी एक पेड़ लगाया हुआ था; उसकी देखभाल मैं ही करता था। एक दिन मैं पानी डालने गया; उसमे तो पहले से किसी ने पानी डाला हुआ था। मैंने शिकायत कर दी। गुरूजी ने मुझे समझाया ; तो मैं अनमने मन से चुप हो गया। 
छटी में एक शब्द आया- FOREIGN गुरूजी ने बताया- दूसरा देश; मुझे  समझ में आया- दूर का देश;
आठवीं में गुरूजी ने सवाल पूछा- 
IS PAKISTAN A FOREIGN COUNTRY ?
तेजा सिंह ने जवाब दिया- YES;  PAKISTAN IS A FOREIGN COUNTRY !
मैंने फ़ौरन कहा- NO; PAKISTAN IS NOT A FOREIGN COUNTRY !


जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ  
Ashok, Tehsildar  Srivijaynagar  9414094991

रविवार, 7 अक्तूबर 2012

Yaaden (57) यादें (५७)

कक्षा 7 के समय पंचायत समिति स्तर पर MIDDLE SCHOOLS की अंतरप्रतियोगिताएं MB MIDDLE SCHOOL  रायसिंह नगर में हुईं थीं। वहां प्रधानाध्यापक भागीरथ चौधरी और सुरेन्द्र कुमार शर्मा PTI थे। हिंदी की वाद-विवाद में मैंने प्रथम स्थान ; तथा अंग्रेजी वार्तालाप में मैंने और साहब राम ने प्रथम स्थान पाया था। हमारा संवाद पाकिस्तान के तानाशाह अयूब खान और मिस्र के राष्ट्रपति नासिर के बीच भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 की युद्ध घटना पर आधारित था। मैं  राष्ट्रपति नासिर की भूमिका में अयूब खान को समझा रहा था : -
 HELLO MISTER AYUB GOOD MORNING
BUT MISTER NASIR MY HEART IS TIL YARNING

 बीच की एक पंक्ति मुझे हलकी सी याद है-
NOT ONLY AMERICA, BUT RUSIA TOO

31PS ; उडसर मुकलावा और भादवावाला के टीमें खेलो में आगे थीं।
उस साल जिला-स्तरीय प्रतियोगिता के लिए हम मोहनपुरा (श्रीगंगा नगर से 8KM उत्तर-पश्चिम )आये थे। अगले साल हम कीकरवाली (रायसिंह नगर से 12 KM उत्तर-पूर्व )और महियाँ वाली (श्रीगंगा नगर से 12 KM दक्षिण) गए थे, उसमें हिंदी में मैंने जिले में दूसरा स्थान लिया था।
 काशीराम गुरूजी हमारे साथ थे। वापसी में गंगानगर हम तीनों ने महावीर भोजनालय RAILWAY-ROAD में ऊपर की मंजिल में खाना खाया था।  AZAD-CINEMA और गणेश में FILM मेरी भाभी और काजल देखी थी। 
फिल्म KAJAL के बेह्तरीन गाने आज भी दिल-ओ-दिमाग पर जादू करते है-
मेरे भैया; मेरे चंदा; मेरे अनमोल रतन; तेरे बदले मैं ज़माने से कोई चीज़ न लूं

 दिल की गहराई में जाकर मदहोश करने वाली रफ़ी साहब की  आवाज़- 
छू लेने दो नाज़ुक होठों को; कुछ और नहीं, जाम है ये।
कुदरत ने जो हमको बक्शा है; वो सबसे हसीं पैगाम है। 
अच्छों को बुरा साबित करना, दुनिया की पुरानी आदत है। 

. .  .  .   .    .   .     .      .    .   .    माना के बहोत बदनाम हूँ मैं
और सबसे बढ़कर मीनाकुमारी पर फिल्माया बेहतरीन भजन जिसे सुनते-सुनते मैं मूर्छित (HYPNOTIZE ) होने लगता हूँ- 
तोरा मन दर्पण कहलाये; भले-बुरे सारे कर्मों को देखे और दिखाए।
जग से चाहे भाग ले कोई; मन से भाग न पाए। 
मन से कोई बात छुपे न मन के नैन हज़ार। 
मन उजियारा; जग उजियारा;
इस उजलेपन पर, काली मैल न जमने पाए।  

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ  
Ashok, Tehsildar  Srivijaynagar  9414094991
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