रविवार, 24 फ़रवरी 2013

YAADEN (77) यादें (७७)

HIGH-SCHOOL के बाद मैं फिर भानियावाला बड़े मामाजी के पास रहने लगा था। मेरा परम-मित्र सतीश चन्द्र वैश्य अपनी मौसी के पास, लक्ष्मण विद्यालय इण्टर कॉलेज देहरादून में दाखिल हो गया था। हम दोनों ने AJANTA STUDIO चकराता रोड, देहरादून में इकट्ठी PHOTO खिंचवाई थी जो अभी भी मेरे पास है।
  
1971 की लड़ाई और बांग्लादेश के जन्म के साथ ही प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी का देश-विदेश में कद बढ़ा। इसके साथ ही भारत सरकार ने कुछ कड़े और ऐतिहासिक फैसले क्रियान्वित किये। भूतपूर्व राजा-महाराजाओं की पेंशन (PRIVY-PURSE) बंद करना, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, शारदा-कानून, सीमित बाराती आदि।
उसी दरम्यान राष्ट्रीय रंगमंच पर दो-तीन अप्रत्याशित सी घटनाएँ हुईं।

1- भारत के मुख्य न्यायधीश श्री अजीतनाथ राय पर गोली चली।
2- STATE BANK OF INDIA की कनाट-प्लेस शाखा, नई दिल्ली से 60,00,000/ - रुपये का दिन-दहाड़े गबन हुआ HEAD-CASHIER  ने बताया की उसे इंदिरागांधी का PHONE आया; जिसमें कहा गया था - "बेटा, मैं प्रधान-मंत्री रही हूँ। मेरा आदमी आ रहा है; बांग्लादेश शरणार्थियों के लिए साठ लाख रूपये दे देना।"
3- मुकदमा चलने से पहले ही,  HEAD-CASHIER की जेल में मौत हो गयी।
4- दिल्ली से अहमदाबाद जाने वाली रेलगाड़ी में RAILWAY-BOARD के अध्यक्ष (शायद अशोक गांगुली) की BOGIE भी लगी हुई थी, जिसे बीच के किसी स्टेशन पर काट कर अलग कर दिया।

मेरा किशोर-मन इन घटनाओं से काफी उद्वेलित हो गया था।
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जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
Ashok 9414094991, Tehsildar ; Sri Vijay Nagar 335704 
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रविवार, 17 फ़रवरी 2013

YAADEN (76) यादें (७६)

फ़ोटो: A view of Doiwala Railway station: http://apnybaat.blogspot.in/2013/02/yaaden-76.html
1971 की लड़ाई के वक़्त मैं दसवीं में था। चारों तरफ BLACK-OUT और लोगों में अथाह जोश। उस दरम्यान गुरूजी हसीन अहमद साहब में मैंने बला की स्फूर्ति देखी। मोटर-गाड़ियों की HEAD LIGHT काली-पट्टी पर  SILVER COLOUR में लिखा होता था -
 CRUSH-PAK
  हसीन साहब CLASS-ROOM में जितने सख्त-मिज़ाज थे, बाहर उतने ही सौम्य और नेक-दिल इंसान थे। उनका लड़का SHELLY छोटा ही था; उन्होंने बताया कि, अंग्रेजी कवि PERCY BISES SHELLY (PB SHELLY) के नाम पर रखा है। वे अंग्रेजी पढ़ाते थे; उनका समझाने का तरीका अच्छा था।  उन्होंने एक दिन कक्षा में मुझसे पूछा - अशोक FIRST DIVISION आएगी ? मैंने पूरे आत्म-विश्वास से कहा-YES SIR !
बुधवार को सफ़ेद DRESS पहनने की छूट थी, मैंने NARANG CLOTH STORE से सफ़ेद TERECOT की पेंट का कपडा 16 रुपये में लिया था; FOAM की SHIRTS का CRAZE था, मैंने 6 रुपये में हरी धारीदार कमीज़ का कपडा लिया था, PUNJAB TAILORS उस समय पेंट 3 रुपये, और SHIRT 1 रुपये में सिलते थे;  
HIGH SCHOOL 1972 की परीक्षा में हम चार विद्यार्थियों की FIRST DIVISION आई थी। किरणबाला जौहर, सुधीर कुमार शर्मा, सुभाष चन्द्र जायसवाल, और मैं। उस वक़्त माध्यमिक शिक्षा परिषद् उत्तर प्रदेश; इलाहाबाद का परीक्षा परिणाम लखनऊ से छपने वाले अंग्रेजी दैनिक NATIONAL HERALD में छपता था।
RESULT वक़्त मैं नानुवाला में था। वापस जाने पर पता चला की मेरे मित्रों ने RESULT सुनाने की ख़ुशी में छोटे मामाजी से 2/- रुपये ईनाम लिया था। 
काश सभी अध्यापक हसीन साहब जैसे हो पाते !!

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
Ashok 9414094991, Tehsildar ; Sri Vijay Nagar 335704 
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रविवार, 10 फ़रवरी 2013

YAADEN (75) यादें (७५)

1971 में नई-कांग्रेस (congress-R) गाय-बछड़े को लेकर चुनाव में उतरी तो संगठन-कांग्रेस (पुरानी-कांग्रेस) अपने पुराने चरखे के साथ थी। जनसंघ का जाना पहचाना नारा था-
 देश का दीपक ; प्रदेश का दीपक।
 एक खास और राज की बात ये कि, बड़े मामाजी ने दिल्ली से आये हुए जनसंघ के कार्य-कर्तायों के साथ; मुझे भी JOLLY  के POLLING-BOOTHS पर भेजा था। 
नयी-कांग्रेस ज़बरदस्त बहुमत से जीती; इंदिरा गाँधी लगातार गद्दी-नशीं रहीं। देवराज उर्स कांग्रेस अध्यक्ष बने। INDIRA IS INDIA का नारा प्रचलन में आया। 
इसी बीच पाकिस्तान में भी आम-इंतेखाब हुए , ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो को शिकस्त देकर बंग-बंधू शेख मुजीब-उर-रहमान की आवामी लीग ने फ़तह हासिल की। इस शिकस्त से नागवार मशरिकी-पाकिस्तान के हुकुमरान ; शेख मुजीब को गद्दी सौंपने से इंकार हो गए। मगरीबी-पाकिस्तान में ज़बरदस्त इंक़लाब चला। पाकिस्तानी फौजों ने उन्हें दरिंदगी से मसलने की कोशिश की। लाखों लोग अपना वतन छोड़ कर भारत में शरणार्थी के रूप में आ गए। ज़बरदस्त बैनल-अक्वामी दबाव के बावजूद पाकिस्तानी सियासत-दां  अपनी जिद पर अड़े रहे।
भारतीय जनता तथा जनसंघ, और COMMUNIST समेत विपक्षी दलों ने प्रधान-मंत्री का पूरा साथ दिया। इंदिरा-गाँधी ने सभी मुल्कों का तूफ़ानी दौरा किया।
हसदे-मामूल USA पाकिस्तान की तरफदारी में ही था; USSR हिन्द का हिमायती था।
भारत-पाकिस्तान का 03.12.1971 से  ज़बरदस्त युद्ध आरम्भ  हुआ मशिरिकी-पाकिस्तान (BANGLA-DESH) की मुक्ति-वाहिनी पहली बार मगरबी-पाकिस्तान के खिलाफ लड़ी। बड़े मामाजी और मैं रातभर विविध-भारती पर गाने और ख़बरें सुनते थे। 

 पाकिस्तान की ज़बरदस्त शिकस्त के साथ भारत के LEUTINENT  GENERAL जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष पाकिस्तानी LEUTINENT GENERAL AAK NIAZI ने अपनी 90,000 फौजों समेत 16.12.1972 को ढाका में आत्म-समर्पण किया।

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ  
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रविवार, 3 फ़रवरी 2013

YAADEN (74) यादें(७४)

तस्वीरनौवीं के बाद दसवीं में, मैं डोईवाला में छोटे मामाजी के पास रहने लगा था। ऋषिकेश रोड पर BUS-STAND के सामने उनकी किरयाने की दुकान थी। पूर्व में रामकुमार हलवाई, पश्चिम में घई जनरल स्टोर (रेणु के पिताजी),    उससे पश्चिम में RK RADIO, उसके साथ बक्शी (खुशीराम) मामाजी की रेडियो दुकान। उसी  में लगभग चौक के कुछ पहले सुरेन्द्र सिंह के पिताजी की सिलाई-मशीन की दुकान और फिर अमरजीत सिंह के पिताजी की रेडियो की दुकान। और चौक के दक्षिण पूर्व और PUNJAB TAILORS, और उससे दक्षिण को लगती हुई शाम सब्जी वाला और फिर डाक्टर हरद्वारी (FC SHARMA ), और (कृष्णलाल) BALI BAKERS.
 मामाजी की दुकान के बिलकुल सामने सड़क से उत्तर में उत्तराखंड बेकर्स (मंगतराम, अशोककुमार, और जीजा उनके  देवराज बाली) । देवराज जी का छोटा भाई घनश्याम भी कभी-कभी जम्मू से आता रहता था। bus-stand से तकरीबन 200 meter पूर्व में ऋषिकेश-रोड के उत्तर दिशा में सड़क से करीब 10-12 feet गहराई में सुदेश, प्रवेश मामाजी (पानीपत वाले ) का घराट था। उसके ठीक सामने दक्षिण को गुड के crasser  थे। और लगभग 1 km पूर्व में उत्तर-दक्षिण बहती सोंग नदी।
चौक से उत्तर-पश्चिम में आम के पेड़ के पास, मोहन पुस्तक भंडार (सतपाल जौहर),  फिर RAILWAY STATION की तरफ आगे विनोद जिंदल, और प्रमोद गुप्ता के पिताजी की दुकानें, उत्तर को मुड़ने पर पहले पाशो-पानवाला, फिर पंडित जी टिक्की, गुलाब-जामुन वाला, फिर पूरनचंद आत्माराम (रामनिवास)। चौक से दक्षिण पश्चिम में स्प्रिट का ठेका, फिर आगे सत्येन्द्र सिंगल की दुकान, NARANG CLOTH HOUSE, कमलराज के पिताजी की दुकान और सबसे आखिर RAILWAY-STATIOCANTEEN. 
इसी तरह MILL ROAD पर सुनील BOOK DEPOT, प्रदीप वासन, और प्रवीण वासन के परिवार की दुकानें थीं। देहरादून रोड पर प्रमोद व प्रवीण  थपलियाल के पिताजी डॉक्टर थपलियाल। आगे उत्तर को HARSH CINEMA से पहले,   PRINCIPAL साहब CL SHAH का निवास था। उनका लड़का भी PIC में ही हमसे आगे पढता था। उसी तरफ आगे उत्तर को, सड़क के पूर्व में पंडित दिलाराम का घर व मंदिर था। 
उन्ही दिनों इस अफवाह ने तेजी पकड़ी कि, पंडित दिलाराम पर साया आकर लोगों के कष्टों का निवारण करता है। एक दिन मैं भी अपनी बड़ी मौसी जी के साथ रात को कीर्तन में गया था; किन्तु मैंने अपने मन में इसे स्वीकार नहीं किया। उसके बाद मैं कभी नहीं गया।     


जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
Ashok 9414094991, Tehsildar ; Sri Vijay Nagar 335704 
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