रविवार, 24 जून 2012

YAADEN (42) यादें (४२)

1965-66 में मैं, तेजा, गुरमेल, श्रीराम, विश्वनाथ चौथी में थे; उस वक़्त सुल्तान सुथार, किरण, पद्मा, धनीराम लाम्बा की लड़की राजकुमारी, मेरी बुआ सत्या देवी, कृष्ण मंडा का छोटा भाई बुधराम तीसरी में थे; सुल्तान राम की लिखाई सुन्दर थी;
पंडित रघुनाथदास की बड़ी लड़की चमेली दिल्ली में ब्याही थी, छोटी कौशल्या (छल्लो) व सेवक राम तुली की शादी एक ही दिन थी; दिल्ली से बारात आई थी, तीन दिन बारात रुकी, गर्मियों के दिन थे नहर बंद थी; पानी की बहुत किल्लत थी; बारात विदा हो रही थी जब नहर में पानी आया;
ठाकुर संतराम जी की छोटी बेटी कांता की शादी ठाकुर ज्ञानचंद के बेटे रामसिंह के साथ हुई;
 उसी दिन तीसरी में पढने वाली राजकुमारी की शादी भी हुई; हमीरा जी के पोते, लूणा जी मंडा  के बेटे बुधराम की शादी भी उसी दरम्यान हुई थी; अपने से एक दर्जा नीचे पढने वाले इन दोनों की शादियों से मैं काफी हैरान, परेशान था;
उस साल आस-पास के गावों के विद्यार्थी सालाना इम्तिहान देनें हमारे गाँव आये थे; सबने अपने-अपने घर एक-एक साथी को रखा था; शामगढ़ का एक लड़का मेरे साथ हमारे घर रुका था; उन पाँच-चार दिनों में हम दोनों पूरी तरह घुल-मिल गए थे; उसके बाद आज 46 साल बीतने पर भी हम दोनों की मुलाकात नहीं हो सकी है;
चौथी पास करके जून1966 में मैं अपने बड़े मामा वेदप्रकाश जी के साथ पांचवी पढने के लिए, भानियावाला चला गया था ! 

 जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ
 Ashok, Tehsildar Hanumamgarh 9414094991  

रविवार, 17 जून 2012

YAADEN (41) यादें (४१)

1965 की लड़ाई में भारतीय जवानों ने अपने सीने पर बमगोले बांध कर AMERICAN PATERON TANKs के परखचे उड़ा दिए, पाकिस्तान की शिकस्त, AMERICA की किरकरी, विश्व कूटनीति में GENERAL याहिया खान ,अयूब खान और जुल्फिकार अली भुट्टो की गिरावट के साथ ही हमारे यहाँ पंजाबी का गीत मशहूर हुआ-

अयूब खां ते भुट्टो ने की नफा कमा लेया ; गिद्दडाँ ने जंग शेरां नाळ ला लेया

ਅਯੂਬ ਖਾਂ ਤੇ ਭੁੱਟੋ ਨੇ ਕੀ ਨਫ਼ਾ ਕਮਾ ਲੇਯਾ; ਗਿਦੜਾ ਨੇ ਜੰਗ ਸ਼ੇਰਾਂ ਨਾਲ ਲਾ ਲੇਯਾ

ताशकंद समझोता, प्रधान-मंत्री लालबहादुर शास्त्री की मौत, गुलजारीलाल नंदा दुबारा कार्यवाहक प्रधान-मंत्री और फिर इंदिरागांधी का प्रधान-मंत्री बनना बहुत तीव्र घटना क्रम चला;
सुभाष चन्द्र बोस के बाद शास्त्री जी की दूसरी मौत है, जिसमे शक की सुइयां आज तक घूम रही हैं; 
इसके तुरंत बाद संत फतेहसिंह ने पंजाबी-सूबा आन्दोलन चलाया; जिससे हरयाणा और हिमाचल प्रदेश का जन्म हुआ; उस समय मैं चौथी में पढता था; चंडीगढ़ का मसला काफी चर्चा में थे; मैंने भी छः नए पैसे के POST-CARD पर अपनी सलाह लिखकर- इंदिरागांधी, प्रधान मंत्री दिल्ली के पते पर भेजी थी कि;

चंडीगढ़ किसी भी राज्य को न दिया जावे;

किसी राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दे पर मेरे बाल -मन की यह प्रथम सार्वजनिक अभिव्यक्ति थी;     

Ashok, Tehsildar Hanumamgarh 9414094991
जय
हिंद
جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ

रविवार, 10 जून 2012

YAADEN (40) यादें (४०)


RADIO के साथ तार जोड़कर ऊपर छत पर या ऊँची जगह पर जालीदार एंटेना बांधा जाता था. रेडियो की BATTERY भी रेडियो से अलग लगभग 
12"x8"x4 " माप की होती थी लाल काले रंग पर 9 के बीच से बिल्ली छलांग लगाती हुई होती थी बाद में छोटे माप की और फिर radio के अन्दर ही fit होने वाली आने लगी रेडियो का सालाना
LICENCE र 7.5 डाकघर में जमा होते थे; जमा न कराने पर बाकायदा जुरमाना लगता था. डाक-तार विभाग एक ही थे बाद में दोनों अलग हुए और फिर प्रसार भारती और BSNL के रूप में सार्वजनिक उपक्रमों का गठन हुआ निकिल के एंटेना वाले TRANSISTER आने के बाद उस तरह के रेडियो लुप्त PRAY हो गए. 
रायसिंह नगर से चाचा नारायण सिंह अपना
TRANSISTER लेकर जब भी आते; हमारे घर ही रुकते थे, हालाँकि उनके भाई ध्यान सिंह और प्रीतम सिंह आने पर अपने राजपूत रिश्तेदारों के घर ही रुकते थे; उन दिनों चाचा  चरण सिंह और कृष्ण बिश्नोई  सरदार अजायब सिंह के ट्रेक्टर पर काम करता था; कृष्ण शुद्ध पंजाबी बोलता था .
गाँव में एक MASSEY FURGUSSION और एक FORDSON 2 ही TRACTOR थे; तेजा के पिता मल्कियत सिंह संधू के पास JEEP थी जिसके ACCIDENT में उनकी मृत्यु हो गयी थी;
 उस ज़माने में मशहूर पंजाबी गायकों में सुरेंदर कौर, प्रकाश कौर, आसासिंह मस्ताना, लालचंद यमला जट, बाबु सिंह मान माराड़ावाला, रम्पटा थे. 
बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखदी हाँ:
ਬੱਤੀ ਬਲ ਕੇ ਬਨੇਰੇ ਉੱਤੇ ਰਖਦੀ ਹਾਂ
कता परीतां नाल चरखा चनण दा:
ਕਤਾਂ ਪਰੀਤਾਂ ਨਾਲ ਚਰਖਾ ਚੰਨਣ ਦਾ
जुत्ती कसूरी पैर न पूरी ,हाय रब्बा वे सानु तुरना पया:
ਜੁੱਤੀ ਕਸੂਰੀ, ਪੈਰ ਨ ਪੂਰੀ ਹਾਯ ਰੱਬਾ ਵੇ ਸਾਨੂੰ ਤੁਰਨਾ ਪਾਯਾ
आवो लोको नस के मेरा जीजा वेखो हस के:
ਆਵੋ ਲੋਕੋ  ਨਾਸ ਕੇ ਮੇਰਾ ਜੀਜਾ ਵੇਖੋ ਹਾਸ ਕੇ
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग मईया: 
ਲਠੇ ਦੀ ਚਾਦਰ ਉੱਤੇ ਸਲੇਟੀ ਉੱਤੇ ਸਲੇਟੀ ਰੰਗ ਮਹਿਯਾ
जग देया चनणा तू मुख ना लुका वे:
 ਜਗ ਦੇਯਾ ਚੰਨਣਾ ਤੂੰ ਮੁਖ ਨਾ ਲੁਕਾ ਵੇ
RAMPTA जा वडेआ लुधियाने
ਰੰਪਟਾ ਜਾ ਵਡੇਆ ਲੁਧਿਆਣਾ  
काला डोरिया कुंडे नल अडया, छोटा देवरा भाबी नाल लडेया
ਕਾਲਾ ਡੋਰਿਯਾ ਕੂੰਡੇ ਨਾਲ ਅੜੇਆ, ਛੋਟਾ ਦੇਵਰਾ ਭਾਬੀ ਨਾਲ ਲੜੇਆ   
तड़के-तड़के जान्दिये मुटियारे नी, कंडा चुबा तेरे पैर बंकिये नारे नी
ਤੜਕੇ- ਤੜਕੇ ਜਾਂਦੀਏ ਮੁਟਿਆਰੇ ਨੀ, ਕੰਡਾ ਚੁਬਾ ਤੇਰੇ ਪੈਰ ਬੰਕਿਏ ਨਾਰੇ ਨੀ  
भांवे बोल ते भांवे ना बोल, चन्ना वस् अखियाँ दे कोल
ਭਾਂਵੇ ਬੋਲ ਤੇ ਭਾਂਵੇ ਨਾ ਬੋਲ, ਵੇ ਚੰਨਾ ਵਸ ਅਖਿਯਾਂ ਦੇ ਕੋਲ
सबसे बढ़ कर लाहौर से मलिका तरन्नुम नूरजहाँ की आवाज़ में لاهور سه ملیکا ترنم نور جهان کهآواز من
दमा दम मस्त कलंदर: ਦਮਾ-ਦਮ ਮਸ੍ਤ ਕਲੰਦਰ دمادم ماست قلندر
हिंदी में चल  उड़ जा रे पंछी,
 ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े, 
तितली उडी, 
चक्के पे चक्का, 
आओ बच्चो तुम्हे दिखाए झांकी हिंदुस्तान की: 
सौ साल पहले, जोत से
जोत जागते चलो:
मेरा रंग दे बसंती चोला: 
जोगी हम तो लुट गए :
 गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हांक रे: 
मै क्या करू राम मुझे बुड्ढा मिल गया:
 दोस्त दोस्त ना रहा:    
 जय हिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ
       

रविवार, 3 जून 2012

YAADEN 39 यादें (३९)

1962 की लड़ाई तो मुझे YAAD  नहीं जवाहरलाल नेहरु की मौत, गुलजारीलाल नंदा कार्यवाहक प्रधान मंत्री, लालबहादुर शास्त्री प्रधान-मंत्री, सरदार स्वर्णसिंह रक्षा मंत्री, सरदार अर्जुनसिंह थल सेनाध्यक्ष और 1965 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई ज़ेहन में बरक़रार है 
लड़ाई के आसार होने पर हम ऊना चले गए; उस समय हरयाणा और हिमाचल प्रदेश नहीं थे; सारा पूर्वी पंजाब था; और ऊना होशियार जिले में था। वहां पर ही मैंने पंजाबी लिखना-पढ़ना सीखा था; नंगल और देहरा की बसें गुज़रा करती थीं; मुझे लगता था;शायद ये देहरादून ही होगा; कुछ दिन रूककर माताजी और मेरी दोनों छोटी बहनों सरोज और सुशीला को वहां छोड़कर में पिताजी के साथ वापस आ गया।
वापसी के वक़्त हम रात को होशियारपुर  में उसी हवेली में ठहरे; जो मेरे परदादा लाला रूपचंद बांसल (रूपाशाह) और उनके पिता लाला गोपालदास  बेचकर कश्मीर चले गए थे। उस हवेली की शान और अनुभूति आज भी मेरे दिल-दिमाग में है।
सर्दियों के दिन थे; लड़ाई लगी हुई थी, एक रात जिस समय मैं अकेला रजाई में दुबका हुआ था; बाहर चाचा मंगत रामजी ने टीन के दरवाजे पर जोर-जोर से लातें मारनी शुरू की; मैं बहुत डर  गया था; बाद में उन्होंने खुद हे आकर मुझे दिलासा दिया;
उस वक़्त गंदुम 50 पैसे और चना 40 पैसे किलो था चीनी का मामुल भाव R 1/ किलो था ज़बरदस्त ब्लैक सेर 10/ तक बिकी रायसिंहनगर एक दुकान में आग लगाने से कई बोरियां चीनी स्वाहा हो गई; उस दुकानदार पर BLACK से चीनी बेचने का मुक़दमा काफी चर्चित रहा था; 
जय हिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ