रविवार, 2 फ़रवरी 2014

YAADEN (126) यादें (१२६ )

और इस  तरह मैं नहरी पटवारी  बन गया. मुझसे दुसरे दिन 17/06/1978 शनिवार को सतनाम सिंह नहर (निवासी मटीली राठान ) उपस्थित हुआ था; उस समय पूर्व-खंड में  बुज़ुर्ग पण्डित जी बड़े-बाबु थे; उनका पुत्र पास में ही चाय की दुकान करता था; एक वाकया ये हुआ की, हम दोनों पटवारी के पद पर उपस्थित तो हो गये; पर नियुक्ति अधिकारी ने आदेश जारी नहीं किया था; कुछ दिनों बाद सतनाम ने मुझे बताया की नियुक्ति आदेश 16 की बजाय 19 जून को जारी किये हैं; इसलिए बड़े बाबू जी ने कहा है कि 19/06/1978 की तारीख में उपस्थिति लिख कर दो; सतनाम ने तो दुबारा लिख दिया; पर उनके काफी जोर देने पर  मैंने दुबारा नहीं लिखा; तो उनको  नियुक्ति आदेश का नंबर(बी) लिख कर 16/06/1978 में ही जारी करना पड़ा; इस तरह शुरुआत ही एक तरह की अदावत से हो गयी; मेरे प्रति खंडीय कार्यालय में एक तरह से धारणा बन गयी, कि ये किसी का कहना नहीं मानता; उस वक़्त हंसराज गक्खड़ राजस्व लिपिक और मथुरा दास खंडीय लेखाकार थे;   बिलोचिया उपखंड , श्रीविजयनगर में मेघनाथ तथा जगदीश कुमार सर्वा लिपिक और सत्यापाल टैगौर सहायक अभियंता  थे; उन्हीं के पास अधिशासी अभियंता पूर्व खंड, सूरतगढ़ शाखा, का भी कार्यभार था;  वे हमेशा सजे-संवरे रहते थे; धीरे किन्तु सख्त लहजे  में बात करते थे ;

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