रविवार, 10 जून 2018

सिलचर की सुबह

पँछियों की चहचहाट से आँख खुली। खिड़की से बाहर नज़र डाली, तो पूरी लौ थी। सोचा छः बज गये। घड़ी देखी, ४:१६ बता रही थी। लगा बन्द हो गयी; पर सुई तो चल रही है? मोबाइल खोलकर देखा; तो तसल्ली हुई; कि घड़ी सही है।
सिलचर २४° ४७' उत्तर व ९२° ४८' पूर्व पर है।
हमारे-
बाड़मेर जिले में पोश्मा लगभग २६°उ, ७१°पू
जैसलमेर जिले में रामदेवरा (रुणेचा) लगभग २७°उ, ७२°पू
बीकानेर जिले में गजनेर लगभग २८°उ ७३°पू
श्रीगंगानगर जिले राजियासर लगभग२९°उ ७४°पू
गंगानगर सादुलशहेर व पँजाब की अबोहर तहसीलों का मध्यवर्ती क्षेत्र  ३०°उ ७४°पू
यानि कि ग्लोबीय दिशा के हिसाब से यहाँ सिलचर से बाड़मेर की स्थिति २° उत्तर दिशा व २१° पश्चिम दिशा
रुणेचा ३° उत्तर दिशा २०° पश्चिम दिशा
बीकानेर ४° उत्तर दिशा १९° पश्चिम दिशा
राजियासर ५° उत्तर दिशा १८° पश्चिम दिशा
श्रीगंगानगर ६° उत्तर दिशा १८° पश्चिम दिशा
२४ घण्टे में पृथ्वी पश्चिम से पूर्व ३६०° देशान्तर घूम जाती है, अर्थात १ घण्टे में १५° मतलब १° कोण घूमने में, पृथ्वी को ४ मिनट का समय लगता है। आठवीं कक्षा में पढ़े इस भूगोल को समझने में चालीस बरस लग गये।
सीधा सा गणित, बाड़मेर (पश्चिम) से सिलचर (पूर्व) तक की दूरी घूमने में, पृथ्वी को ८४ मिनट का समय लगता है। 
बाड़मेर का स्थानीय समय जब दोपहर १२ हो, तो यहाँ सिलचर में ०१:२४ दोपहर होगा।

यही तो है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की अद्भुत रचना।
इसी के लिए स्वर्गीय मुकेश जी ने गाया था-
ये कौन चित्रकार है ?? ये कौन चित्रकार है ??? 

रविवार, 8 अप्रैल 2018

अल्लापल्ली

कभी कल्पना न थी, कि महाराष्ट्र के सुदूर दक्षिण पूर्व में तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के साथ लगते नक्सल प्रभावित जंगलों में, भ्रमण का मौका मिलेगा। अप्रत्याशित का प्रत्याशी होना ही ब्रह्मा जी की "विधि" है।   
 महाराष्ट्र राज्य मार्ग संख्या ३६३ के वन क्षेत्र में अन्तर्विभागीय समन्वय के लिए गढ़चिरौली, कसनसूर, एटापल्ली, अल्लापल्ली, का भ्रमण। नागपुर से १७० किमी दक्षिण पूर्व में गढ़चिरौली जिले की ७८% भूमि वनाच्छादित है। मुख्य वन संरक्षक गढ़चिरौली के अन्तर्गत उत्तर से दक्षिण तक पाञ्च वन मण्डल- वडसा, गढ़चिरौली, भमरागढ़ (मुख्यालय आलापल्ली), आलापल्ली व सिंरोंचा हैं। गढ़चिरैली से १२० किमी दक्षिण में ग्राम पंचायत आलापल्ली (तहसील अहेरी) नक्सली क्षेत्र का मुहाना है। इस ग्राम में वन विभाग के दो खण्ड कार्यालयों के अलावा सार्वजनिक निर्माण विभाग का खण्ड कार्यालय, तीन बैंक ATM, दो पैट्रोल पम्प, ट्रैक्टर कम्पनी व  बाजार हैं। रविवार हाट के लिए ग्राम पंचायत ने पक्के बनाए हुए हैं। स्थानीय उपज, हस्तशिल्प व बाजारी सामान दोनों संस्कृतियां हाट में दिखती हैं।  
 लगभग १९°-२०° उत्तर व ८०°-८१° पूर्व में तीनों राज्यों की सीमा पर गोदावरी नदी के आस पास फैले यह  हरित वन, देश के मानचित्र पर आसानी से पहचाने जा सकते हैं। 
 वन उपज में शहद, इमली, महुआ, ताड़, सागवान, तेन्दुपत्ता मुख्य हैं। आदिवासिंयों में ताड़ी व महुए की शराब का प्रचलन है। यत्र तत्र नक्सलवाद के विरोध में पीले रंग के कपड़े पर प्रचार भी देखे जा सकते हैं। 
पर्यावरण की समीपता और व्यस्तता ने अपने प्रदेश की दूरी और परिवेश की याद भुलाए रखी। दो सप्ताह पलक झपकते बीत गये।  
Ashok Kumar Khatri, Land Acquisition Expert, Global Infra Solutions, Bhopal. 

शनिवार, 24 फ़रवरी 2018

Bhopal

Land Acquisition Expert के पदनाम से आज शनिवार २४ फरवरी २०१८ को उत्तरदायित्व सम्भाला है।
पूरे चालीस वर्ष पश्चात् भोपाल में रहने आया हूँ। या यूं कहूं कि सेवा निवृत्ति के बाद एक साल घर पर आराम करके, फिर से कमर कस ली है, अपने आप को परखने की। १९७६-७७ में भोपाल जंकशन के बिल्कुल पास भोपाल होटल में paying guest बनकर रहे थे। ३५ रुपये प्रतिदिन। यूं लगा कि इतना महंगा? चोपड़ा परिवार के साथ घर जैसे ही घुल मिल गए थे। उस वक्त जिस पद का वेतन ३५५ था अाज ३५००० है।
अपनी बात कहूँ; तो लड़कपन ने प्रौढ़ता ओढ़ ली है। बेवकूफियों से समझ मिली। बहुत कुछ खोया, बहुत कुछ पाया। माता पिता व चाचा तो चले ही गए। अपने प्रिय पौत्र को भी उन्होंने अपने पास ही बुला लिया। बेटा अपनी चाची और चचेरी बहिन को भी साथ ही ले गया। बेटियां अपने घरों में, खुशहाल हैं।
भाग्यशाली हूँ, कि दोनों भाई भरत, लक्ष्मण हैं।
 साफ साफ स्वीकार करता हूँ, कि मेरे माता पिता ने जितना अच्छा मेरा लालन पालन किया था, वैसा पिता या पति मैं नहीं बन पाया। सामाजिक सफलताओं की कीमत बाकी परिवार को चुकानी ही पड़ती है। सामाजिक लागतों का यही शाश्वत सिद्धांत है। मेरे सामजिक मूल्यों की कीमत, मेरी पत्नी और बच्चों ने चुकाई है।
हौंसला है, कि भले ही सार्वजनिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र में आ गया हूँ। कार्य चिर परिचित ही है। भूमि अवाप्ति के विवादों का निस्तारण करना व करवाना। यह सीधे सीधे सरकारी क्षेत्र से तालमेल है। उत्साहित हूँ, कि राष्ट्रीय स्तर पर भारतमाला व अन्य महत्वाकांक्षी परियोजनाओं से जुड़कर स्वयं को तौलने का सुअवसर ईश्वर ने दिया है।
परमपिता परमेश्वर के सानिध्य में, स्वयं को आबद्ध करता हूँ कि अपनी सुपरिचित कार्यशैली को बनाए रखूँगा। इस मातृभूमि ने सब कुछ दिया है। यथाशक्ति सेवा करूंगा। सामाजिक मूल्यों की कीमत पर समझौता नहीं करूंगा।
चालीस वर्षों में, संचार साधन पूर्णतः बदल गए हैं; इनकी बदौलत राजस्थानी मित्रों से सम्पर्क बना रहेगा।

जयहिंद।