रविवार, 6 अप्रैल 2014

YAADEN (135) यादें (१३५ )

ओम व उसके परिवार के साथ हमारा सम्पर्क लगातार पहले जैसा बना रहा; उसकी शादी में मैं दो-तीन दिन करणपुर रुका; उसकी छोटी बहिन नर्मदा और भाई मदन की शादी में भी ऐसा ही हुआ; उनका पैतृक गाँव रेवाड़ी के पास डहीना जैनाबाद है, तीनों रिश्ते भी उधर ही किये; उसके ससुर उस समय धरांगधरा (गुजरात) में नौकरी करते थे; हमारे घर नानूवाला भी उनके परिवार का खूब आना-जाना लगा रहता था;  मई १९८० में मेरी छोटी बहिन सरोज कि शादी हुई ; उसका FURNITURE हमने उनसे ही बनवाया था; करणपुर से मैं ऊँठगाड़ी में लादकर नानूवाला लेकर आया था;  

ओम नहाने के लिए, पहले बाल्टी में गर्म पानी डालता, और बाद में ठण्डा मिलाता ! मेरी विचारधारा  उलट है, कि गर्म पहले डालने से तेज वाष्पन  तापमान  जल्दी और ज़यादा कम होगा;  पर भौतिक-शास्त्र  Physics के सिद्धांत से उसकी  सोच भी सही  है, गर्म पानी हल्का होने से ऊपर रहेगा, और नीचे बाल्टी में पानी ठण्डा रह जायेगा ! 


लगभग उन्हीं दिनों उसके पिता रामचंद्र जी को गले की बीमारी हो गयी थी; बीकानेर PBM में इलाज चलता था; अप्रैल १९८१ में उनका देहांत हो गया; उस समय मैं ROAD ACCIDENT के कारण रायसिंहनगर  भर्ती था; मुझे किसी ने नहीं बताया;  

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
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