ओम व उसके परिवार के साथ हमारा सम्पर्क लगातार पहले जैसा बना रहा; उसकी शादी में मैं दो-तीन दिन करणपुर रुका; उसकी छोटी बहिन नर्मदा और भाई मदन की शादी में भी ऐसा ही हुआ; उनका पैतृक गाँव रेवाड़ी के पास डहीना जैनाबाद है, तीनों रिश्ते भी उधर ही किये; उसके ससुर उस समय धरांगधरा (गुजरात) में नौकरी करते थे; हमारे घर नानूवाला भी उनके परिवार का खूब आना-जाना लगा रहता था; मई १९८० में मेरी छोटी बहिन सरोज कि शादी हुई ; उसका FURNITURE हमने उनसे ही बनवाया था; करणपुर से मैं ऊँठगाड़ी में लादकर नानूवाला लेकर आया था;
ओम नहाने के लिए, पहले बाल्टी में गर्म पानी डालता, और बाद में ठण्डा मिलाता ! मेरी विचारधारा उलट है, कि गर्म पहले डालने से तेज वाष्पन तापमान जल्दी और ज़यादा कम होगा; पर भौतिक-शास्त्र Physics के सिद्धांत से उसकी सोच भी सही है, गर्म पानी हल्का होने से ऊपर रहेगा, और नीचे बाल्टी में पानी ठण्डा रह जायेगा !
जयहिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
लगभग उन्हीं दिनों उसके पिता रामचंद्र जी को गले की बीमारी हो गयी थी; बीकानेर PBM में इलाज चलता था; अप्रैल १९८१ में उनका देहांत हो गया; उस समय मैं ROAD ACCIDENT के कारण रायसिंहनगर भर्ती था; मुझे किसी ने नहीं बताया;
Ashok 9414094991,
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