शनिवार, 9 मार्च 2019

शुक-ताल

मुजफ्फरनगर से २८ किमी उत्तर पूर्व व हरिद्वार से ७० किमी दक्षिण पश्चिम में श्रीगंगा जी की एक धारा के पश्चिमी तट पर बसा शुक्रताल मुजफ्फरनगर जनपद में है।
हर की पौड़ी हरिद्वार के नमूने का पक्का गंगाघाट है। यहां कर्मकाण्डी पण्डे व नौकायन भी उपलब्ध है। तीस रुपए प्रति सवारी। गंगा घाट से लगभग एक किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में
अक्षयवट व श्रीशुकदेवजी का मन्दिर है। मान्यता है कि श्रीगंगा जी के किनारे इस वट वृक्ष की छाया में शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाई थी।

मुझे लगता है, कि महाभारत कालीन इस स्थान का नाम वस्तुत: शुक-ताल होना चाहिए था, न कि शुक्रताल। यह दैत्यों के आचार्य शुक्र से सम्बन्धित नहीं है। इसलिए शुक्रताल नाम तो औचित्यहीन है। यहां तो भागवत पुराण के कथा वाचक महात्मा शुकदेव जी का प्रवास रहा है। ऐसा लगता है, कालान्तर के बोलचाल में शुक शब्द उच्चारण दोष से शुक्र हो गया।

यहां से हरिद्वार, ऋषिकेश, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, दिल्ली के लिए बस सेवाएं उपलब्ध हैं।



मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019

मुक्ति द्वार

मुक्तिद्वार स्वर्ग धाम, मुजफ्फरनगर में भोपा मार्ग व मण्डी समिति मार्ग के मध्य स्थित शवदाह व अन्तिम संस्कार का स्थल है। उत्तर दिशा का प्रवेश द्वार पैट्रोल पम्प के सामने मुख्य सड़क भोपा मार्ग व पूर्वी मण्डी समिति मार्ग पर बिजली घर के पास है। 
दोनों सड़कों की ओर कुछ अतिक्रमण भी हैं। दक्षिण पूर्व के  मकान मालिक ने अतिक्रमण करके पूर्व की ओर समिति रोड तक निजी रास्ता बना लिया है। 
अन्दर हरियाली व पर्याप्त सुविधाएं व मनभावन दृश्य है। 
राजस्थान के चूरू, नागौर व जोधपुर जिलों में श्मशान स्थल जाति आधारित हैं, इसलिए उनकी दशा अच्छी नहीं है। जबकि हनुमानगढ़ श्रीगंगानगर की कल्याण भूमि में प्रतीत होता है, मानों पर्यटन स्थल हैं। 
सामाजिक संस्थाओं के अलावा जनप्रतिनिधियों को भी इस पर सोचना होगा। 

जयहिंद।