सोमवार, 25 मई १८८१ को मैंने APRT (All Purpose Revenue Training ) school टोंक में उपस्थिति पेश की महेंद्र सिंह यादव Principal थे; सबसे पहले बनवारी लाल से मेरी मुलकात हुई, जो टिब्बी के हैं; वहीँ पर मैंने कुलदीप सिंह को देखा, जिनका पता उदयपुर था; काली pent, सफ़ेद bush-shirt बिलकुल पदमकुमार जी वाला पहनावा; भरा चेहरा और हलकी दाढ़ी; प्रथम दृष्टि में, मैंने उन्हें उदयपुर का कोई राजपूत लड़का समझा था; बनवारी ने ही मुझे बताया कि वह मसानीवाला (तहसील टिब्बी) का जटसिख है; और बनवारी का class-fellow था; हम तीनों एक ही जिले के हो गए (हनुमान गढ़ जिला नहीं था) कुलदीप उस समय मावली तहसील में राजस्व पटवारी था; बनवारी वन विभाग चुरू में था;
APRT में नज़ीर अहमद बाबू थे ! उसी दिन मुझे रायसिंह नगर, बनवारी को टिब्बी और कुलदीप को वल्लभनगर तहसील ट्रेनिँग के लिए भेज दिया !
वापस जयपुर देर से पहुँचने के कारण शाम 6 बजे श्रीगंगानगर वाली गाड़ी की बजाय रात को बीकानेर express पर चलकर 2.30 बजे चुरू आकर मैं बनवारी के पास ही रुका; सुबह रेल से सादुलपुर, हनुमानगढ़ और रात 11 बजे रायसिंहनगर !
जयहिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
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