रविवार, 28 अप्रैल 2013

YAADEN (86) यादें(८६)

INERMEDIATE के दोनों साल ( XI व XII ) में अंग्रेजी वेदप्रकाश जी पढ़ाते थे, XI में कभी कभी PRINCIPAL साहब, चन्द्रलाल जी शाह भी पढ़ाते थे, मुझे अच्छी तरह याद है, KING KOBRA IN THE BUNGALOW  उन्होंने ही हमें पढाया था; उसी दरम्यान PIC का PENAL INSPECTION भी हुआ था, याद नहीं कि, आने वाले शिक्षाविद थे, या कि अधिकारी, लगातार तीन दिन उस दल ने निरीक्षण किया था;  अंतिम दिन प्रार्थना-सभा में उन्होंने हमें शिक्षा दी -
 खूब खाओ, खूब खेलो, खूब पढो !
1974 में ही हरिद्वार में कुम्भ का मेला था; उसमें मैं और केशर सिंह गये थे, उस वक़्त र 1.50 तक चाय का कप बिका था; हम दोनों रात को देर तक घूमते रहते थे; ONE WAY TRAFIC था, गलती से अगर कोई सड़क मुड़ तो फिर एक दो किलोमीटर का चक्कर पड़ जाता था;
और इस तरह मेरी इंटरमीडिएट तक की पढाई पूरी हो गयी; परीक्षा-परिणाम आना बाकी था; और अप्रैल के तीसरे सप्ताह में, मैं जम्मू चला गया;

जयहिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
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रविवार, 21 अप्रैल 2013

YAADEN (85) यादें(८५)

पब्लिक इंटरमीडिएट के दौरान ही जादूगर PC SARKAR के SHOW डोईवाला में हुए; SUGAR MILL में रामलीला देखने, अक्सर मैं और केशर सिंह इकट्ठे जाते थे, 1974 में हरिद्वार में चलने वाली रामलीला में केशर सिंह जी के पिता रोशनलाल जी  और छोटा भाई बाबूलाल भी पात्र के रूप में थे;  हम दोनों रात को 8 बजे DLS पैसेंजर पकड़ कर डोईवाला से हरिद्वार चले जाते थे; सुबह दून एक्सप्रेस से ६ बजे वापस डोईवाला पहुँच जाते थे;
हमसे पहले PUBLIC INTERMEDIATE COLLEGE डोईवाला में इंटरमीडिएट परीक्षा में किसी की प्रथम श्रेणी नहीं आई थी; हम लोगो में जबरदस्त मुकाबला तो था ही, पर एक बात मुझे अजीब लगती थी कि, राजस्थान में जब मैं किसी से बात करता था तो वे प्राप्तांक ७० % या अधिक बताते थे, जबकि HIGH SCHOOL में मेरे हिंदी में 58 और अंग्रेजी में 48 ही आये थे;  बातचीत में मुझे लगता था , हमारी पढाई का दर्जा निश्चय ही उनसे बेहतर था; तो भी UP मे कम और राजस्थान में अधिक नंबर आते है; तो इसका अर्थ है कि, राजस्थान की परीक्षा प्रणाली उचित नहीं है; क्योकि यहाँ जो हिंदी, अंग्रेजी, गणित ऐच्छिक पाठ्यक्रम थे, वे हमारे अनिवार्य थे; इसके अलावा अंग्रेजी से अंग्रेजी  PROSE POETRY EXPLANATION REFERENCE  WITH CONTEXT; तृतीय भाषा के बजाय हिंदी विषय में ही शुद्ध संस्कृत का एक प्रश्न-पत्र; ये सब राजस्थान में नहीं थे;    

इंटरमीडिएट परीक्षा १९७४ हमारा परीक्षा SGN खालसा इंटरमीडिएट कॉलेज देहरादून में था; केशरसिंह जी उसी में अध्यापक थे; मैं देहरादून उन्ही के पास रुका था; फिर इतिहास रचा गया; माध्यमिक शिक्षा परिषद् उत्तर प्रदेश इलाहबाद की इंटरमीडिएट परीक्षा में PIC डोईवाला के एक साथ चार विद्यार्थियों ने प्रथम श्रेणी प्राप्त की; किरण बाला जौहर, कमलराज अरोड़ा, यशपाल सिंह और मैं;

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रविवार, 14 अप्रैल 2013

YAADEN (84) यादें (८४)

डोईवाला रिहायश के दौरान मैं सुबह railway-line से पार पश्चिम में, शाखा (राष्ट्रीय स्वयं-संघ) में जाने लगा था; प्रातः कालीन वे गतिविधियाँ मुझे पसंद थीं;  भानियावाला आने के बाद, यहाँ भी शाखा शुरू हो गयी थी; बड़े मामाजी की प्रेरणा से मैं सुबह जाने लगा था;  बड़े मामाजी ने तो 1963-64 में ही रायसिंह नगर से डॉक्टर हेडगवार और गुरु गोवेलकर की तस्वीरें लाकर नानुवाला घर में लगाई थीं;      
1974 तक RAILWAY में Ist, IInd, और IIIrd तीन श्रेणियां थीं; स्लीपर के लिए रात 9 से सुबह 6 बजे तक 3rd के ticket पर र 2.50 अतिरिक्त देना होता था; 1974 के rail-budget में IIIrd class समाप्त करने की घोषणा हुई;
INTERMEDIATE में हमारा परीक्षा केंद्र SGN KHALSA INTERMEDIATE COLLEGE देहरादून था; मैं केशर सिंह जी के पास रुक गया था; 1 अप्रैल को सुबह मैं केसरसिंह जी को जबदस्ती RAILWAY STATION ले गया; वहां जाकर देखा, तो डिब्बों पर III का एक डंडा मिटाकर II बना दिया था, II का एक डंडा मिटाकर I बना दिया था;
सोचता हूँ तीसरा दर्जा ख़त्म करके, दो ही किये थे; पर आज तो रेलवे में IInd, sleeper, Ist, AC Chair car, AC IIIrd , AC IInd , और AC Ist कुल 7 दर्जे हैं; चौबे जी, दुबे की बजाय छब्बे ही बन गए हैं; 
क्या हमारे संविधान में समानता और समाजवाद की यही परिकल्पना थी ?


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रविवार, 7 अप्रैल 2013

YAADEN (83) यादें (८३)

Intermediate में हमारे साथ कुछ SENIOR साथी भी शामिल हो गए थे; हालाँकि मेरा ये आकलन रहा है; कि वे सभी पढाई में कमज़ोर नहीं थे; अशोक कुमार जौहर; श्रवण कुमार अग्रवाल; सुखदेव सिंह, कमल किशोर व्यास और रामनिवास गुप्ता , ये सब XII में हमारे साथ हो गए थे; और मेरे मित्र थे, मैंने सबको बड़े भाई का दर्जा दिया, मुझे इनके अनुभव का काफी फायदा मिला; अशोक जौहर, नीरू का बड़ा भाई है; वह DIVISION IMPROVE के लिए हमारे साथ आया था;
  सुखदेवसिंह को सब BRILLIANT मानते थे; वह क्यों FAIL हुआ ? यह अचरज था; वैसे वह SELF-CONFUSED रहता था; उसका गाँव खैरी है. हम दोस्त लोग उसे HALF-MIND कहते थे; वह हमारी बात का गुस्सा नहीं मानता था; congress का आलोचक होते हुए भी वह हिमाचल के प्रथम मुख्य-मंत्री यशवंत सिंह परमार का प्रशंसक था, हिमाचल केंद्र-शासित से पूर्ण राज्य बन चुका था; चुनाव प्रचार के लिए परमार साहब आये, हम दोनों भाषण सुनने गये थे;  श्रवण और रामनिवास (पूरण चंद आत्माराम) तो पक्के बनिया थे; अशोक चौक बाज़ार में JOHAR IRON STORE चलाता है;

उसी दरम्यान डोईवाला को TOWN-AREA बनाने का आन्दोलन बड़े जोर-शोर से चला, पाशो राम पान वाले संघर्ष-समिति के संयोजक थे; हमारे PRINCIPAL साहब CL SHAH का भाषण मुझे आज भी याद है :-

जैसे बच्चा छोटे से बड़ा होता है, वैसे ही डोईवाला, पहले बच्चा था, अब बड़ा हो गया है;

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