रविवार, 29 जुलाई 2012

YAADEN 47 यादें (४७)

राजस्थान में हम हिंदी अंग्रेजी, गणित, सामान्य-विज्ञान, सामाजिक-ज्ञान, चित्र-कला और उद्योग पढ़ते, सीखते थे। उत्तर प्रदेश (वर्तमान उत्तराखंड) में भाषा, हिसाब, कृषि एवं विज्ञान, के साथ ही भूगोल के मानचित्र भी बनाने पड़ते थे। सबसे खास बात ये थी, की कृषि यंत्रों की व्यावहारिक जानकारी तथा गोबर की खाद, हरी खाद व् शौचालयों बाबत बातें। बाल सभा में अन्ताक्षरी मुख्य होती थी।
विद्यालय के दक्षिण-पश्चिम तरफ गूलर का बड़ा सा पेड़ और उसके बड़े-बड़े लाल फूल मेरे लिए नई चीज़ थे।
शेरसिंह के अलावा  भगवान सिंह , मोहनसिंह, भक्तराज, जगदीश सिंह, जीत सिंह, अजीत सिंह, बाला, मेरे साथ पांचवीं में थे. जगदीश सिंह, सरदार होने के कारण मैं कई बार उससे पंजाबी में बात करने का प्रयास करता था; किन्तु उसने कभी पंजाबी नहीं बोली। उसके चाचा जूते बनाते थे, और बड़े मामाजी के साथ पंजाबी में ही बात करते थे। जगदीश, मोहन सिंह तथा भक्तराज की लिखाई बहुत सुन्दर थी, कक्षा के बाकी  सब की लिखी भी मुझसे तो अच्छी ही थी, वहां पर छोटी कलम, बड़ी कलम से लिखा जाता था। राजस्थान में HOLDER से लिखते थे।
मोहन सिंह, भगवान सिंह, शेरसिंह और बाला  नौवीं में फिर मेरे साथ हो गए थे; बाकी साथियों से फिर मुलाकात नहीं हुई .  
   जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
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