रविवार, 8 अप्रैल 2012

YAADEN (31) यादें (३१)

31दिसंबर 1964 को हम सब नए स्कूल के बड़े वले कमरे में डाली गई मिटटी की कुटी कर रहे थे उस दिन से आगे छुट्टियाँ होनी थीं; कृष्ण मंडा और नत्थू सुथार एक एक ईंट लेकर कुटी कर रहे थे, मैं तीसरी में था और वे दोनों पांचवी में ; मुझे अच्छी तरह याद है कमरे का उत्तर-पश्चिम कोना था, मैं हाथों से अर्ध गीली मिटटी थपक रहा था; शायद हो सकता है, कि उन्होंने मुझे टोका हो या न टोका हो ! मेरे दायें हाथ के थपके के ऊपर कृष्ण की ईंट पड़ गई;  मेरी कनिष्ठ का नाख़ून उतर गया और खून निकलने लगा; वे दोनों घबरा गए थे; मै न तो रोया न ही उनसे कोई शिकायत की; शाम को वे दोनों SKIN OINMENT की TUBE लकर घर आये और मुझे देकर गए;; मेरे माता-पिता ने भी इसे सामान्य घटना के रूप में लियाथा*  वैसे भी कृष्ण के पिता लूणा जी मंडा सभ्रांत व शांत प्रकृति के थे हालाँकि उसके  दादा हमीरा जी और चाचा शंकर की छवि उतनी अच्छी नहीं थी; नत्थू के पिता हनुमान जी सुथार की मेरे पिताजी के साथ अच्छी उठ-बैठ थी*    दायें हाथ की कनिष्ठा का नाखून आज भी उस घटना का गवाह है*            
जय हिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ

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