रविवार, 1 अप्रैल 2012

YAADEN (30) यादें (३०)

कक्षा दो में हिंदी की किताब में एक पाठ था सुजाता की खीर.
महात्मा बुद्ध को सुजाता की खीर खाकर बोध हुआ कि, दुःख का कारण क्या है? इस अंतिम पंक्ति के साथ पाठ पूरा हो गया था. मैं बहुत बेचैन हो गया था, उस कारण को जानने को. ये बेचैनी चार साल चली. कक्षा छह
में आकर मैंने पड़ा कि, दुःख का कारण है; इच्छा. उसके बाद ये सिद्धांत मै याद रखने का प्रयत्न करता आया हूँ !
जय हिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ

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