रविवार, 15 सितंबर 2013

YAADEN (106) यादें (१०६)

भोपाल होटल भोपाल , के मालिक चोपड़ा परिवार का हम सब के साथ बहुत अच्छा व्यवहार था; बिलकुल घर जैसा माहौल था; राजस्थान से मैं अकेला था बाकी पंजाब हरयाणा से थे; अश्विनी, कपिला, सिंगला, गाँधी, एक सरदारजी और एक लड़की शायद करनाल से, कुल छः;  विजय जी के अलावा एक भाटिया साहब भी हमारे साथ गये थे, वहाँ चोपड़ा परिवार के सदस्यों के अलावा एक सोढ़ी जी थे, जो अक्सर हमारे पास आ जाते थे गपशप के लिए; उन दिनों इंदिरा गाँधी के 20 (21 ) सूत्री कार्यक्रम के साथ-साथ संजय गाँधी का 4 सूत्री कार्यक्रम और राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का 2 सूत्री कार्यक्रम भी चल रहा था; सोढ़ी अक्सर इन कार्यक्रमों की चर्चा करता रहता था; विजय, सरदारजी, और लड़की हिंदी में बोलते थे, बाकि हम सब चोपड़ा जी का परिवार और सोढ़ी पंजाबी में ही बोलते थे; हमने काफी घुमाई भी की थी;
 भोपाल में मेरे लिए एक नई बात ये थी कि पानी की सुराहियों के पास गीले चूने की पुडिया पड़ी रहती थी , लोग अंगुली से थोडा सा चूना चाट कर पानी पीते थे; पूछने पर पता चला कि CALCIUM की कमी है;
   उसी दरम्यान मध्यप्रदेश में विद्याचरण शुक्ल को बदल कर उनके ही भाई श्यामाचरण शुक्ल को  मुख्य-मंत्री बनाया गया;
परीक्षा के कार्यक्रम में मेरे साथ एक और हादसा पेश आया; मेरा गणित III तथा एक अन्य विषय के प्रश्न पत्र एक ही समय थे; जो स्पष्टतः विश्वविद्यालय की गलती थी; मुझे दुसरे साथियों ने अदालत से परीक्षा रुकवाने की सलाह दी; पर मैंने कहा कि मैं गणित III पेपर छोड़ दूंगा फिर भी पास हो जाऊंगा; इसी आत्म-विश्वास के साथ मैंने गणित III पेपर छोड़ दिया;



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