रविवार, 23 जून 2013

YAADEN (94) यादें (९४)

मेरे पढ़ाई छोड़ने पर सबसे ज्यादा सदमा अशोक जौहर को लगा था; कई महीने तक उसके बुलावे आते रहे थे; पत्रों में वो आस-पास के सारे हालात लिखता था, उसके हरेक वाक्य उदासी झलकती थी; ये ख़त-ओ-ख़िताब कई साल चलते रहे, जब भी डोईवाला जाता हूँ, उससे तो मिलता ही हूँ;
उसमें घमण्ड बिलकुल नहीं है, बात करता है, तो मासूम और सरल; हम जब भी इकट्ठे होते थे, वह खुद खाए या न खाए मुझे जबरदस्ती कुछ न कुछ खिलाने की कोशिश करता रहता था;  सबसे खास बात ये की उसने खुद मुझे दोस्त चुना था; हालाँकि उसकी सगी बहन नीरू बाला, और ताया मदनमोहन जी की बेटी किरण बाला IX से XII तक मेरी सहपाठी रही हैं; HIGH-SCHOOL में तो हम इकट्ठे IX C, X C में BIOLOGY में थे, INTERMEDIATE में मैं MATHEMATICS, PHYSICS  XI C, XII C में था, वे ZOOLOGY BOTANY में थीं; पर हिंदी, ENGLISH, और CHEMISTRY के पीरियड्स इकट्ठे ही थे; उन दोनों से 1974 के बाद मुलाकात नहीं हुई;
अशोक एक सफल व्यापारी है : -
JOHAR IRON STORE, CHOWK BAZAR; DOIWALA 128140


जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
Ashok 9414094991, Tehsildar ; Sri Vijay Nagar 335704 
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