बड़े मामा जी तो उसी पुराने आज़ाद मामा वाले मकान में रहते थे; और दुकान वैद्य रामस्वरूप जी भट्ट वाली थी, जिसके साथ पूर्व दिशा में रतनसिंह हलवाई, पश्चिम में राजू पानवाला, और सामने उत्तर में सड़क पार मदन बंगाली की दुकान थी। छोटे मामा जी सामने भगवान् सिंह जी के छोटे भाई ओमप्रकाश सैनी की दुकान से पूर्व दिशा में, मामचंद जी गुप्ता की दुकान में BAKERY करते थे। उनकी रिहायश चन्द्रप्रकाश जी गोयल के मकान में थी।
जन्माष्टमी 1970 वाले दिन बड़े मामा जी के बड़े लड़के राजीव (BINTU)का मुंडन था; उसके कुछ दिन बाद, बड़े मामा जी नहर के पास मामचंद जी के घर से उत्तर दिशा में, अपने मकान में चले गए।
मामचंद जी और चन्द्रप्रकाश जी का भांजा सतीशचन्द्र वैश्य, भी मेरा सहपाठी था। वह लखनऊ का रहने वाला था; और मेरी तरह ही अपने मामा मामचंद जी के पास रहता था। बड़ा हंसमुख और विनोदी था।
उनसे अपना नाम तिस्सा-भाई और मेरा सुक्खा-भाई रखा था। PIC (Public Inter College ) को वह Pen Ink Chor कहता था। 1973 के बाद हमारी मुलाकात नहीं हुई। वाराणसी में होटल मेनेजर था। शायद 1990 में आखिरी पत्र-व्यवहार हुआ। 2009 के बाद मैंने उसे कई बार ORKUT और FACEBOOK पर भी तलाश करने का प्रयास किया है।
उसने मुकेश जी के प्रसिद्ध गीत -
सावन का महिना .. .. की parody बनायीं थी-
छुट्टी का महिना,
mummy जी करें शोर;
सबको लागे ऐसे ,
जैसे घर में घुस गए चोर।।
जयहिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
Ashok 9414094991, Tehsildar ; Sri Vijay Nagar 335704
http://www.apnykhunja.blogspot.com/ http://www.apnybaat.blogspot.com/;
http://www.apnyvaani.blogspot.com/; www.apnykatha.blogspot.com
My Location at Globe 73.5178 E; 29.2406 N
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें