25NP के SCHOOL दिनों में नहर में नहाना, आँधियों में बेर और मोर पँख इकट्ठे करना, नहर में किसी का CYCLE और बस्ते समेत गिर जाना; या फिर CYCLE PUNCTURE होने पर भरी दोपहरी में घसीटते हुए, पसीने से तर-बतर, गिरते-पड़ते, भूखे-प्यासे देर से घर पहुंचना; ये सब मामूल वाक़यात होते थे।
सर्दियों में माचिस साथ रखते थे; जिससे ज़रुरत होने पर आग ताप लेते थे। इस माचिस की वजह से कभी-कभी बीड़ी के सूटे भी होने लगे थे। गुरुजन को भनक लगने पर विद्यालय के अलग कमरे में सबकी पेशी हुई; और ये दुर्व्यसन आगाज़ से पहले ही अंजाम तक पहुँच गया। गुरुजन के प्रति अगाध आदर की वजह से उनसे बड़ा डर लगता था कि ; हमारे आचरण के विषय में गुरूजी क्या सोचेंगे !
आजकल पढ़-सुनकर और देख कर अजीब सा लगता है; गुरु-शिष्य का स्नेह, आदर, विश्वास और उत्तरदायित्व कहाँ खो गया है ? भरत व्यास और कवि प्रदीप जी की पंक्तियाँ कचोटने लगती हैं -
आज के इस इंसान को क्या हो गया ?
इसका पुराना प्यार कहाँ पर खो गया ??
जयहिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
Ashok 9414094991, Tehsildar ; Sri Vijay Nagar 335704 http://www.apnykhunja.blogspot.com/;
http://www.apnybaat.blogspot.com/;
http://www.apnyvaani.blogspot.com/; www.apnykatha.blogspot.com;
My Location at Globe 73.5178 E; 29.2406 N
सर्दियों में माचिस साथ रखते थे; जिससे ज़रुरत होने पर आग ताप लेते थे। इस माचिस की वजह से कभी-कभी बीड़ी के सूटे भी होने लगे थे। गुरुजन को भनक लगने पर विद्यालय के अलग कमरे में सबकी पेशी हुई; और ये दुर्व्यसन आगाज़ से पहले ही अंजाम तक पहुँच गया। गुरुजन के प्रति अगाध आदर की वजह से उनसे बड़ा डर लगता था कि ; हमारे आचरण के विषय में गुरूजी क्या सोचेंगे !
आजकल पढ़-सुनकर और देख कर अजीब सा लगता है; गुरु-शिष्य का स्नेह, आदर, विश्वास और उत्तरदायित्व कहाँ खो गया है ? भरत व्यास और कवि प्रदीप जी की पंक्तियाँ कचोटने लगती हैं -
आज के इस इंसान को क्या हो गया ?
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