रविवार, 12 अगस्त 2012

YAADEN 49 यादें(४९)

उन दिनों भनियावाला डोईवाला के आस-पास बालयोगेश्वर का काफी प्रचार था। जगह-जगह पर नारे लिखे थे- "सतयुग आएगा"; हमारे घर के सामने सड़क से उत्तर को मास्टर भगवान सिंह जी के घर के सामने वाले बरामदे में एक दुबले-पतले भगवाधारी बाबा जी मुंह में लोहे का आर-पार खोखला तिकोन लगाकर प्रचार करते रहते थे। उनकी शक्ल-ओ-सूरत मुझे वैसे ही नज़र आती है। उनका कोई अनुयायी मुझे नहीं लगा था। इन बालयोगेश्वर ने बाद में 14 वर्ष की आयु में, अपने से काफी बड़ी एक AMERICAN धनाढ्या से विवाह कर लिया था। 

 गुरु-पर्व पर जुलुस में, माता के मन्दिर; और ऋषिकेश ROAD BUS -स्टैंड  ऋषिकेश ROAD पर महंत जी के डेरे वाले भंडारे में भी मैं डोईवाला गया था। वैसे बड़ी मौसीजी के पास यदा-कदा चला जाता था। गौरीश्याम और इंद्रजीत के साथ मेरी अच्छी पटती थी। चौक बाज़ार में उस वक़्त जवाहर पुस्तक भंडार मशहूर था, वहां से खरीदना शान समझी जाती थी।

 देहरादून झंडेवाले मेले में भी हम गए थे। रानीपोखरी में दादा गुरदित्तामॉल का hotel था; और jolly-grant में दादा दुर्गादास जी परचून की दुकान करते थे। मैं उनके पास भी गया था।  1966 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार क्षेत्र से CONGRESS के सामने निर्दलीय प्रत्याशी नित्यानंद स्वामी थे; भानियावाला में नहर के पास उत्तर दिशा में महन्तों का जो घर है; वे उनके करीबी रिश्तेदार थे। उनका निशान शेर था।वे विजयी रहे थे। बाद में मैंने सुना कि वे congrass में शामिल हो गए।वे उत्तराखंड के मुख्य-मंत्री भी बने। 
तब तक कांग्रेस का नारा-
भारत वालो  आ नहीं जाना,  किसी के  तोड़े-मोड़े पर
सोच समझ कर; मोहर लगाना; दो बैलों के जोड़े पर।।
जनसंघ का नारा था-
देश का दीपक। प्रदेश का दीपक।।

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
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