रविवार, 10 जून 2012

YAADEN (40) यादें (४०)


RADIO के साथ तार जोड़कर ऊपर छत पर या ऊँची जगह पर जालीदार एंटेना बांधा जाता था. रेडियो की BATTERY भी रेडियो से अलग लगभग 
12"x8"x4 " माप की होती थी लाल काले रंग पर 9 के बीच से बिल्ली छलांग लगाती हुई होती थी बाद में छोटे माप की और फिर radio के अन्दर ही fit होने वाली आने लगी रेडियो का सालाना
LICENCE र 7.5 डाकघर में जमा होते थे; जमा न कराने पर बाकायदा जुरमाना लगता था. डाक-तार विभाग एक ही थे बाद में दोनों अलग हुए और फिर प्रसार भारती और BSNL के रूप में सार्वजनिक उपक्रमों का गठन हुआ निकिल के एंटेना वाले TRANSISTER आने के बाद उस तरह के रेडियो लुप्त PRAY हो गए. 
रायसिंह नगर से चाचा नारायण सिंह अपना
TRANSISTER लेकर जब भी आते; हमारे घर ही रुकते थे, हालाँकि उनके भाई ध्यान सिंह और प्रीतम सिंह आने पर अपने राजपूत रिश्तेदारों के घर ही रुकते थे; उन दिनों चाचा  चरण सिंह और कृष्ण बिश्नोई  सरदार अजायब सिंह के ट्रेक्टर पर काम करता था; कृष्ण शुद्ध पंजाबी बोलता था .
गाँव में एक MASSEY FURGUSSION और एक FORDSON 2 ही TRACTOR थे; तेजा के पिता मल्कियत सिंह संधू के पास JEEP थी जिसके ACCIDENT में उनकी मृत्यु हो गयी थी;
 उस ज़माने में मशहूर पंजाबी गायकों में सुरेंदर कौर, प्रकाश कौर, आसासिंह मस्ताना, लालचंद यमला जट, बाबु सिंह मान माराड़ावाला, रम्पटा थे. 
बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखदी हाँ:
ਬੱਤੀ ਬਲ ਕੇ ਬਨੇਰੇ ਉੱਤੇ ਰਖਦੀ ਹਾਂ
कता परीतां नाल चरखा चनण दा:
ਕਤਾਂ ਪਰੀਤਾਂ ਨਾਲ ਚਰਖਾ ਚੰਨਣ ਦਾ
जुत्ती कसूरी पैर न पूरी ,हाय रब्बा वे सानु तुरना पया:
ਜੁੱਤੀ ਕਸੂਰੀ, ਪੈਰ ਨ ਪੂਰੀ ਹਾਯ ਰੱਬਾ ਵੇ ਸਾਨੂੰ ਤੁਰਨਾ ਪਾਯਾ
आवो लोको नस के मेरा जीजा वेखो हस के:
ਆਵੋ ਲੋਕੋ  ਨਾਸ ਕੇ ਮੇਰਾ ਜੀਜਾ ਵੇਖੋ ਹਾਸ ਕੇ
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग मईया: 
ਲਠੇ ਦੀ ਚਾਦਰ ਉੱਤੇ ਸਲੇਟੀ ਉੱਤੇ ਸਲੇਟੀ ਰੰਗ ਮਹਿਯਾ
जग देया चनणा तू मुख ना लुका वे:
 ਜਗ ਦੇਯਾ ਚੰਨਣਾ ਤੂੰ ਮੁਖ ਨਾ ਲੁਕਾ ਵੇ
RAMPTA जा वडेआ लुधियाने
ਰੰਪਟਾ ਜਾ ਵਡੇਆ ਲੁਧਿਆਣਾ  
काला डोरिया कुंडे नल अडया, छोटा देवरा भाबी नाल लडेया
ਕਾਲਾ ਡੋਰਿਯਾ ਕੂੰਡੇ ਨਾਲ ਅੜੇਆ, ਛੋਟਾ ਦੇਵਰਾ ਭਾਬੀ ਨਾਲ ਲੜੇਆ   
तड़के-तड़के जान्दिये मुटियारे नी, कंडा चुबा तेरे पैर बंकिये नारे नी
ਤੜਕੇ- ਤੜਕੇ ਜਾਂਦੀਏ ਮੁਟਿਆਰੇ ਨੀ, ਕੰਡਾ ਚੁਬਾ ਤੇਰੇ ਪੈਰ ਬੰਕਿਏ ਨਾਰੇ ਨੀ  
भांवे बोल ते भांवे ना बोल, चन्ना वस् अखियाँ दे कोल
ਭਾਂਵੇ ਬੋਲ ਤੇ ਭਾਂਵੇ ਨਾ ਬੋਲ, ਵੇ ਚੰਨਾ ਵਸ ਅਖਿਯਾਂ ਦੇ ਕੋਲ
सबसे बढ़ कर लाहौर से मलिका तरन्नुम नूरजहाँ की आवाज़ में لاهور سه ملیکا ترنم نور جهان کهآواز من
दमा दम मस्त कलंदर: ਦਮਾ-ਦਮ ਮਸ੍ਤ ਕਲੰਦਰ دمادم ماست قلندر
हिंदी में चल  उड़ जा रे पंछी,
 ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े, 
तितली उडी, 
चक्के पे चक्का, 
आओ बच्चो तुम्हे दिखाए झांकी हिंदुस्तान की: 
सौ साल पहले, जोत से
जोत जागते चलो:
मेरा रंग दे बसंती चोला: 
जोगी हम तो लुट गए :
 गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हांक रे: 
मै क्या करू राम मुझे बुड्ढा मिल गया:
 दोस्त दोस्त ना रहा:    
 जय हिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ
       

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