रविवार, 27 नवंबर 2011

YAADEN(11) यादें(११)

दादी जी (श्रीमती कुंती देवी शर्मा) के मुंह बोले भाई डाक्टर मेघराज अग्रवाल थे , वे भी कभी कभी चाचाजी (ओम प्रकाश शर्मा) के साथ साइकिल पर गाँव आ जाते थे. वे उनको मामा ही कहते थे. एकबारमुझे बुखार हुआ, इलाज के लिए माँ व् पिताजी के साथ रायसिंहनगर जाकर दादा दुर्गादास जी वाले अहाते के मकान   में रहे. दो  तीन दिन इलाज चला . उस ज़माने में बुखार का मतलब था रोटी बिलकुल बंद.  मेरा  जी कुलबुला रहा था. आखिर वैध जी ने अंगारी फुल्का, और मूंग धुली  दाल  खाने की इज़ाज़त दी, मुझे बड़ा कौतुहल था अंगारी फुल्के के बारे में. माँ ने बताया तो मेरी जिज्ञासा और भूख दोनों ही चरम पर पंहुच गई,  मैंने माँ का पीछा नहीं छोड़ा ,  माँ ने चूल्हा जलाया और मैं पास बैठ कर व्यग्रता से सूक्ष्म निरीक्षण करता रहा. 
आज न माँ है; न पिताजी; पर वह सारा घटनाक्रम और उस फुल्के का स्वाद आज भी ज़बान पर बरकरार है.  
जय हिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 

1 टिप्पणी:

  1. From: SHARMA MAHAVEER PRASAD

    Date: Thu, Dec 1, 2011 at 3:06 PM

    Subject: Re: [APNY-BAAT] YAADEN

    To: Ashok Kumar

    sir,

    Please share these memories more and more to be alive for a long time and more minds.

    Thanks for sharing your memories.

    M P Sharma

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