रविवार, 20 नवंबर 2011

YAADEN (10) यादें (१०)

पिताजी  की चचेरी बहन कमलेश का अपने भाई-भाभी से काफी लगाव था और ये खलूस मेरे वाल्देन के इंतकाल तक ऐसे ही रहा* बुआ ने अफीम वाक़या से अपने भाई भाभी को वक़्त रहते आगाह कर दिया था,पर वो अनहोनी टल न सकी थी; उनकी शादी से पहले वो वाकया हो चुका था * शादी में मेरे वाल्देन व चाचा को शामिल नहीं किया गया* पिताजी ने रायसिंहनगर में जाकर बाराती रिश्तेदारों से मुलाकात की व अपनी बहन को विदा किया* ये हकीकी वाक़या भी मेरे होशो हवाश से पहले का ही है; जो घर में चलने वाली बातों के दरम्यान  ज़ाहिर हुआ बुआजी फूफाजी व उनके पिता बस्तीरामजी नानुवाला आने पर हमारे घर मिलने ज़रूर आते थे मुझे याद है* बस्तीराम जी की मौत के बाद वे अलवर से फरीदाबाद और फिर दिल्ली चले गए* फूफाजी गुजर गए: बुआजी का स्नेह आज भी मुझ पर बरक़रार है*  जय हिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ

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