रविवार, 16 फ़रवरी 2014

YAADEN (128) यादें (१२८ )

 लेखपाल मंडल 4BLD में चक 1BLD 2BLD 2BLDA 4BLD 2STB 3STB 4STB 5STB थे; जिलेदार कार्यालय में काम करते हुए मुझे यह अच्छी तरह पता चल गया था, कि यह भूत-पूर्व जागीरदारों का इलाका है; जो आदतन सिंचाई शुल्क जमा नहीं करवाते, उनकी देखा-देखी दूसरे लोगों ने भी वैसा ही रवैया अख्तियार कर लिया है; पहले 2STB से 8STB तक एक ही हल्का था जिस पर ओम प्रकाश पटवारी थे; जो स्वाभाव से भी ढीले ही थे, इस हल्के की वसूली औसतन 30-40 प्रतिशत रहती थी;
मैंने मन ही मन चुनौती को स्वीकार किया और जिलेदार जी सोहनसिंह भुप्पल से सलाह करके, उपनिवेशन तहसील विजयनगर से आवंटन सूचियाँ प्राप्त कर ली;  जिन-जिन कृषको के दो या अधिक फसलों की सिंचाई शुल्क जमा नहीं थी उन सबका पानी काट कर, सभी चकों की पक्की वारियां बना दी; और जब पहली बार हल्के में गया,तो ढाणी-ढाणी जाकर,  अपना परिचय देते हुए, वाराबंदी की पर्चियां बाँट दी;  पूरे हल्के में हडकम्प मच गया; मुझे धमकियाँ मिलनी भी शुरू हो गयी;
2BLD में नोखाराम ओड, 1BLD में सुगन सिंह, और रघुनाथसिंह लूंछ ( थानेदार), 3STB में आनंद कँवर, शिमला ठाकर, 5STB  में भैरोसिंह घोटडा, विजयसिंह कातर,  कानसिंह, सब मुझसे जबरदस्त रुष्ट हुए; नोखा राम ओड ने तो कहा- मैं थप्पड़ मार द्यूं तसीलदार नै; तू तो पटवारी है;
आज मुझे लगता है;  मेरे तहसीलदार बनने नोखाराम के शब्द भी कारक हैं;

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
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