रविवार, 8 दिसंबर 2013

YAADEN (118) यादें (११८)

लोक सभा आम चुनाव 1977 के बाद  नीलम संजीव रेड्डी लोकसभा अध्यक्ष बने; उपप्रधान मंत्री (गृह-मंत्री) चौधरी चरण सिंह ने दो कार्यवाहियां बहुत ही गलत की, जो न तो प्रशासनिक थीं, न ही राजनीतिक ; मैंने इसे व्यक्तिगत द्वेषता की श्रेणी में ही  रखा था; और इनका खामियाजा बाद में चौधरी चरण सिंह और जनता-पार्टी के साथ-साथ राष्ट्र को भी भुगतना पड़ा; 

1 - 9 उत्तरी राज्यों में सरकारों को इस आधार पर भंग कर दिया गया, कि  77 के आम चुनावोंके परिणाम कांग्रेस के खिलाफ गया, इसलिए ये कांग्रेसी मुख्य-मंत्री जनमत  खो चुके हैं; 
2- इंदिरा गाँधी को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया; 

राष्ट्रपति ( BD JATTI उपराष्ट्रपति ) ने  विधान सभाओं को भंग करने के अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया; चौधरी चरण सिंह ने कहा कि यदि राष्ट्रपति हस्ताक्षर नहीं करेंगे तो हम रेडियो पर घोषणा द्वारा लोक-सभा भंग करके नये चुनाव करवाएँगे; इस धमकी के बाद अध्यादेश पर हस्ताक्षर हो गये; 
उत्तरी राज्यों में भी जनता पार्टी और उसके सहयोगी क्षेत्रीय दलों की सरकारें बनीं - 
इसके तुरंत बाद जुलाई में राष्ट्र्पती के  चुनाव में भी श्री नीलम संजीव रेड्डी लोकसभा अध्यक्ष को ही सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुना गया; ये स्टष्टतः 1969 की हार का बदला था; 

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
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