मेरी पत्नी अधिक पढ़ी लिखी नहीं है. वह अधिक सलीकेदार नहीं है, वह ज्यादा अच्छा खाना भी नहीं बना सकती. वह बिगड़ी बात को सम्भाल नहीं सकती. सामान्यतः कई बार हम दोनों में अनबन भी हो जाती है.
मेरी पत्नी अपने माँ बाप, सास ससुर, पति, रिश्तेदारों और संतान के प्रति समर्पित भारतीय नारी है. यही कारण है;कि उसकी साफगोई का हमारे परिवार, रिश्तेदारों और मित्रों ने कभी बुरा नहीं माना. उसमें कोई दुराव नहीं है; सब उसे भाग्यशाली मानते हैं.
वह लक्ष्मी स्वरूपा है, जब भी कोई रुपया पैसा देती है, तो वह मेरे लिए फलदाई होता है;
न तो उसमें दातापन का अभिमान रहता है, और न ही प्रतिफल की भावना; मैं इन दोनों अवगुणों से स्वयं को मुक्त नहीं कर पाया;
इसीलिए किसी आने जाने वाले, रिश्तेदार, सम्बन्धी , मित्र या माँगने वालों को जो कुछ भी देना हो, मैं उसी के हाथ से दिलवाता हूँ;
एक और बात
उसका पक्ष लेकर मेरे माता पिता ने मुझे कई बार डांटा भी था;
मेरी दोनों सालियों संतोष और प्रमिला पर भी उनका स्नेह था;
अब तो वे हमें छोड़ कर चले गए हैं.
आज भी पत्नी को जाने अनजाने कुछ कह देता हूँ, तो लगता है, माँ-बाप मुझे डांट रहे हैं;
जय हिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
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