रविवार, 24 मार्च 2013

YAADEN (81) यादें (८१)

XI उत्तीर्ण करने के बाद मई 1973 में मैं नानुवाला आया, उसी समय चाचा मदनलाल जी की शादी थी; बारात अल्लापुर (अलवर) जानी थी; मैं, पिताजी, फूफा कस्तूरी लाल जी,  विश्वनाथ का बड़ा भाई सुखदेव (बिल्लू), उनके पिताजी चूनीलाल, पंडित तीरथराम जी, करनैल सिंह, और धनीराम जी का दामाद सुरेन्द्रकुमार आहूजा, आँधियों के कारण रेलगाड़ी का समय अनिश्चित था;
रायसिंहनगर से बस पर गंगानगर, फिर बस पर हनुमानगढ़, आगे शाम छः बजे दिल्ली के डिब्बे में सादुलपुर और  रेवाड़ी, वहां से अलवर, स्टेशन के पास एक धर्मशाला में हम रुके, वहां से एक जोंगा लेकर हम अल्लापुर पहुंचे, ये मेरी अलवर या अल्लापुर की पहली यात्रा थी, हालाँकि बचपन से ही मैं वहाँ के किस्से सुनता आया था;
 वहाँ रात के खाने में राजमाष-चावल खाए, पता नहीं क्यों मुझे बहुत ही स्वाद लगे; वैसे स्वाद वाले राजमाष-चावल फिर मैंने कभी नहीं खाए;

होली की शुभकामनायें !
HAPPY HOLI 
ਸਰੇਯਾਂ ਨੂੰ ਹੋਲੀ ਦੀਯਾਂ ਵਾਧਾਯੀਆਂ !!
آپ سب کو ہولی کی مبارکباد 

जयहिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
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