रविवार, 10 फ़रवरी 2013

YAADEN (75) यादें (७५)

1971 में नई-कांग्रेस (congress-R) गाय-बछड़े को लेकर चुनाव में उतरी तो संगठन-कांग्रेस (पुरानी-कांग्रेस) अपने पुराने चरखे के साथ थी। जनसंघ का जाना पहचाना नारा था-
 देश का दीपक ; प्रदेश का दीपक।
 एक खास और राज की बात ये कि, बड़े मामाजी ने दिल्ली से आये हुए जनसंघ के कार्य-कर्तायों के साथ; मुझे भी JOLLY  के POLLING-BOOTHS पर भेजा था। 
नयी-कांग्रेस ज़बरदस्त बहुमत से जीती; इंदिरा गाँधी लगातार गद्दी-नशीं रहीं। देवराज उर्स कांग्रेस अध्यक्ष बने। INDIRA IS INDIA का नारा प्रचलन में आया। 
इसी बीच पाकिस्तान में भी आम-इंतेखाब हुए , ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो को शिकस्त देकर बंग-बंधू शेख मुजीब-उर-रहमान की आवामी लीग ने फ़तह हासिल की। इस शिकस्त से नागवार मशरिकी-पाकिस्तान के हुकुमरान ; शेख मुजीब को गद्दी सौंपने से इंकार हो गए। मगरीबी-पाकिस्तान में ज़बरदस्त इंक़लाब चला। पाकिस्तानी फौजों ने उन्हें दरिंदगी से मसलने की कोशिश की। लाखों लोग अपना वतन छोड़ कर भारत में शरणार्थी के रूप में आ गए। ज़बरदस्त बैनल-अक्वामी दबाव के बावजूद पाकिस्तानी सियासत-दां  अपनी जिद पर अड़े रहे।
भारतीय जनता तथा जनसंघ, और COMMUNIST समेत विपक्षी दलों ने प्रधान-मंत्री का पूरा साथ दिया। इंदिरा-गाँधी ने सभी मुल्कों का तूफ़ानी दौरा किया।
हसदे-मामूल USA पाकिस्तान की तरफदारी में ही था; USSR हिन्द का हिमायती था।
भारत-पाकिस्तान का 03.12.1971 से  ज़बरदस्त युद्ध आरम्भ  हुआ मशिरिकी-पाकिस्तान (BANGLA-DESH) की मुक्ति-वाहिनी पहली बार मगरबी-पाकिस्तान के खिलाफ लड़ी। बड़े मामाजी और मैं रातभर विविध-भारती पर गाने और ख़बरें सुनते थे। 

 पाकिस्तान की ज़बरदस्त शिकस्त के साथ भारत के LEUTINENT  GENERAL जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष पाकिस्तानी LEUTINENT GENERAL AAK NIAZI ने अपनी 90,000 फौजों समेत 16.12.1972 को ढाका में आत्म-समर्पण किया।

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ  
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