रविवार, 9 सितंबर 2012

YAADEN (53) यादें (५३)


रतनाराम जी, सफ़ेद कमीज़-पायजामा पहनते थे, और सरल स्वाभाव के थे। उनकी एक आँख नहीं थी। अजमेर सिंह जी नए लगकर पहली बार आये थे; वे सुरुचिपूर्ण FASHIONABLE थे। पेंट के ऊपर पूरे बटनों वाली गोलाई-CUT की कमीज़ का रिवाज़ था। वे सामान्य-विज्ञान पढ़ाते थे। 7वीं की अर्धवार्षिक परीक्षा में मेरे 69/70 NUMBER आये थे। वे पदमपुर के आस-पास रहने वाले थे; 1990 के आस-पास एक-दो बार उनसे मुलाकात भी हो गई थी।
 पदम कुमार जी शर्मा के ज़िक्र के बिना मेरा विद्यार्थी जीवन अधूरा है। वे गजसिंहपुर से आये थे; फिरोजपुर के रहने वाले थे। TERELENE की काली चमकीली पेंट ऊपर वैसी ही चकाचक सफ़ेद बुश-शर्ट, मुंह पर हल्के चेचक के दाग; सुरुचिपूर्ण कंघी किये बाल, और स्नेहयुक्त हल्की मुस्कान लिए मधुर वाणी। संस्कृत और ENGLISH दोनों भाषाओं पर उनका पूरा अधिकार था। वे अक्सर दुलारामजी के साथ नानुवाला आ जाते थे; इस तरह हमारे घर भी उनका आना हो जाता था। मई 1970 में, मैं 8वीं PASS कर चुका था; पदमकुमार जी नानुवाला दुलाराम जी के घर (मेरे ननिहाल)  लेटे-लेटे ख़बरें सुन रहे थे, मैं उनके पाँव दबा रहा था, जैसे LOTIKA RATNAM ने बोला- "AND THAT  IS END OF THE  NEWS" वे RADIO बंद करते हुए पंजाबी में बोले-
बेटा तेरा राज के खजाने में शीर है। ਬੇਟਾ, ਤੇਰਾ ਰਾਜ ਦੇ ਖ਼ਜ਼ਾਨੇ ਵਿਚ ਸ਼ੀਰ ਹੈ। 
मैंने कहा-
गुरूजी मैंने नौकरी नहीं करनी। ਗੁਰੁਜੀ ਮੈਂ ਨੌਕਰੀ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ।
 वे बोले-
नहीं बेटा मैं तो तुझे बता रहा हूँ। ਨਹੀਂ ਬੇਟਾ, ਮੈਂ ਤਾਂ ਤੌਨੁ ਦਾਸਿਯਾ ਹੈ।
उसके बाद मैं देहरादून चला गया था। उनकी बात सही निकली मैं नौकरियां छोड़ता रहा, और नौकरियां मेरे पीछे-पीछे भागती रहीं। 2008-09 में जब मैं नागौर था, एक दिन BUS पदमपुर पहुँचने पर मैंने देखा, वे सामने खड़े थे; मैं आश्चर्य मिश्रित उत्साह में जल्दी से उतर कर भागा। उनको चरण-स्पर्श किया; वे भी गदगद हो गए; मुश्किल से दो या तीन MINUIT की ये मुलाकात थी। 
 
जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
 Ashok, Tehsildar  Srivijaynagar  9414094991

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