श्रीराम, विश्वनाथ fail होने पर चौथी में हमारे साथ हो गए. रोज़ शाम को पहाड़े बोलने होते थे; पौवा अद्धा पौना सवाया ड्योढ़ा से लेकर आगे तक. मेरी और गुरमेल की एक दुसरे से आगे निकलने की जिद में हम दोनों को 27 तक याद थे
हिंदी, गणित, सामाजिक ज्ञान, सामान्य विज्ञान, चित्रकला और उद्योग, शाम को उद्योग के रूप में प्रांगण की साफ-सफाई, पेड़ों को पानी, आदि करना होता था; शनिवार को आधी छुट्टी के बाद बाल-सभा होती थी; तेजासिंह आँखें बंद करके मुंह ऊपर को करके एक हास्य-गीत सुनाता था -
आप करदी दो- दो गुत्तां; मैनू कहिंदी टिंड मना !
आप जांदी सिल्मा वेखण;मैनू कहिंदी मुंडा खिढ़ा !!
ਆਪ ਕਰਦੀ ਦੋ ਦੋ ਗੁੱਤਾਂ; ਮੈਨੂ ਕਹਿੰਦੀ ਟਿੰਡ ਮਨਾ !
ਆਪ ਜਾਂਦੀ ਸਿਲਾਮਾ ਵੈਸ਼ਨ; ਮੈਨੂ ਕਹਿੰਦੀ ਮੁੰਡਾ ਖਡਾ !!
गुरमेल सिंह का गीत बहुत ही भावपूर्ण था; उस समय नासमझ होने पर भी देश-विभाजन की त्रासदी का दर्द दिल में भर जाता था-
गड्डी भर के अमरसरों तोरी ਗੱਡੀ ਭਰ ਕੇ ਅਮ੍ਬਰ ਸਾਰੋੰ ਤੋਰੀ
इस के आगे के बोल मुझे याद नहीं ; पर उसका शाब्दिक अर्थ ये है क़ि; -
अमृतसर और लाहौर के बीच rail लाशों से भरी हुई आती-जाती थी*
जय हिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
Ashok, Tehsildar Hanumamgarh ९४१४०९४९९१
MY HOUSE NANUWALA AT GLOBE 73.450529E; 29.441214 N
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