रविवार, 18 मार्च 2012

YAADEN(28) यादें (२८)

हमारे गुरूजी जगरूप सिंह जी लापरवाह किस्म के थे* हम सभी विद्यार्थियों को अपनी-अपनी बारी से स्कूल में  झाड़ू सफाई करनी होती थी; एक सुबह जब निरीक्षक आए, कूड़ा दरवाजे के सामने पड़ा था; गुरूजी उस समय तक नहीं आए थे. वर्ष 1978-82 के दौरान मैं नहरी पटवारी था, वे 5 BLM में पदस्थापित थे* एक दिन बस में मैने उन्हें पहचान लिया और चरण-स्पर्श किया. भैराराम जी अनुशासन-प्रिय थे और सख्त-सजा 
 हाथ ऊपर करके खड़ा करना, डंडा या मुर्गा बनाना थी. सेवकसिंह जी व भैराराम जी की लिखावट सुन्दर थी. सेवकसिंह जी संधू का ननिहाल हमारे गाँव में ही था उनको बोलचाल में सुखदेव कहते थे. बाद में लगभग 1985 में मैं निरीक्षक था, और वे पंचायत समिति गंगानगर में थे*
जय हिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ

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