सोमवार, 5 मार्च 2012

YAADEN(26) यादें (२६)

हमारे गुरूजी ओमप्रकाश जी सरल और सहयोगी स्वाभाव के थे. तीसरी कक्षा में पहली बार लिखित परीक्षा होने से मैं उत्साहित था.प्रश्न था, "कृष्ण के मामा का नाम क्या था?" मैने लिखा 'कंस'. बाद में उन्होंने समझाया लिखना चाहिए,
कृष्ण के मामा का नाम कंस था. शरद पुर्मिमा पर वे हमें नानुवाला कोठी लेकर गए. थाली चम्मच, घर से लेकर गए. वहां खीर बनाई
नहर में नहाये, फिर खीर खाकर वापस आए;
 मेरी चम्मच नहाने धोने के दौरान गुम गई. 
जय हिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ

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