गाँव में आने जाने वाले साधू संत और यात्री व्यापारियों के प्रति विश्वास भाव था. उनके ठहरने खाने की व्यवस्थाएं की जाती थी. हमारे घर
भी यदा-कदा साधू-महात्मा या व्यापारी रुकते रहते थे. कथा प्रसंग भी
होते थे. अमृतसर से दो वंजारे पांच-चार महीने में अक्सर फेरी
लगाने आते थे उन में से एक हमारे घर ही रुकते थे. और सुबह जाते
वक़्त मेरी छोटी बहनों सरोज सुशीला व शशि को चूडियाँ देते थे.
गायों के झुण्ड लेकर मिएँ आते थे. हम उनसे 8/- रूपये सेर मक्खन
लेकर 12 / रुपये किलो घी बेचते थे उस वक़्त चना 40 पैसे व गेहूं 50 पैसे किलो खरीदते थे !
-- जय हिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
भी यदा-कदा साधू-महात्मा या व्यापारी रुकते रहते थे. कथा प्रसंग भी
होते थे. अमृतसर से दो वंजारे पांच-चार महीने में अक्सर फेरी
लगाने आते थे उन में से एक हमारे घर ही रुकते थे. और सुबह जाते
वक़्त मेरी छोटी बहनों सरोज सुशीला व शशि को चूडियाँ देते थे.
गायों के झुण्ड लेकर मिएँ आते थे. हम उनसे 8/- रूपये सेर मक्खन
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My Location at Globe 74.2690 E; 29.6095N
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