रविवार, 19 फ़रवरी 2012

YAADEN (24) यादें (24)

तेजा सिंह, गुरमेल सिंह व मेरी मित्रता ठीक थी. उसका एक कारण ये भी थे कि हम तीनो ही पंजाबी हैं; और हमारे परिवारों में भी मिलना जुलना था, हम तीनो के घर स्कूल से लगभग उत्तर दिशा में थे; हालाँकि तेजसिंह का घर नहर पार उत्तर पूर्व कोने पर था और गुरमेल का नहर के किनारे, उस समय हम लगभग नासमझ थे. और एक दुसरे पर भरोसा करते थे; एक दिन हम तीनों साथ-साथ स्कूल से घर रवाना हुए थे; ठाकर सिंह (कैलाश, मोहन सिंह, कर्ण सिंह, नरसिंह, सोमा सुमित्रा) के घर से मुझे अपने घर पश्चिम को मुड़ना था; और उन दोनों को सीधा उत्तर नहर कि तरफ जाना था; तेजा ने मुझे बातों में लगाये रखा, और अचानक गुरमेल ने मेरी पीठ पर मुक्का मारा, और दोनों एकदम से अपने घरों को भाग गए; मेरे भोले मन को, उस दिन पहली बार आस्तीन के सांप का अहसास हुआ था#
पर मैंने न तो शिकायत की; और न ही मित्रता छोड़ी* 

जय हिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ
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