रविवार, 24 नवंबर 2013

YAADEN (116) यादें (११६)

जैतसर गुरूजी के घर, मेरी मुलाकात त्रिलोक चंद यादव यादव से हुई, जो जैतसर विद्युत् विभाग में meter-reader थे, उसके बाद  1985 में, जब मैं गंगा नगर office-quanoongo के पद पर था; तो उनका साधुवाली से फ़ोन आया, मैंने उनको नहीं पहचाना, वे नाराज हो गये, मैंने सन्दर्भ पूछा, उन्होंने बताया; तो मैंने झट से मुआफी मांग ली; उस दिन से हमारी मित्रता चली आ रही है; हर सुख-दुःख आपस में साझा करते हैं पारिवारिक सलाह-मशविरा भी करते हैं; उनके अधिकांश रिश्तेदार भी मेरे परिचित हो गये हैं; मेरे घर परिवार और रिश्तेदार भी उनसे परिचित हैं; वे पदोन्नत होकर 30.11.2010 को सेवा निवृत होकर 7Z में रहतेहैं। बुधवार २१ अप्रैल २०२१ को उनका देहान्त हो गया।                
ज़िन्दगी का सफ़र;زندگی کا سفر
है, इक ऐसा सफ़र !ہے اک ایسا سفر
कोई समझा नहीं; کوئی سمجھا نہیں؛
कोई जाना नहीं !! کوئی جانا نہیں

    जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
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