रविवार, 4 अगस्त 2013

YAADEN (100) यादें (१००)

आपात काल घोषित होने के साथ ही संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार निलंबित हो गये;  पिताजी मेरी हरकतों और रंग-ढंग से थोड़े आशंकित रहते थे; उस समय हमारे गाँव में श्री कल्याण सिंह राजावत (निवासी 3STB) ग्राम-पंचायत के सचिव थे, मैं उनसे ज्यादा परिचित तो नहीं था; किन्तु वे मुझे अच्छा लड़का समझते थे; उन्होंने मुझे समझाने की कोशिश की, कि संजय गाँधी की युवा कांग्रेस का बोर्ड बनवा कर टांग लो; अपनी दीवारों पर SLOGAN लिख लो; गाँव ,में तुम्हारी पूछ होने लग जावेगी; मैंने उन्हें साफ बता दिया कि यह मेरी विचार-धारा से बाहर है;
gmm1780218681.jpgतब उन्होंने गांधीजी की मौत के बाद खुद का वाकया बताया कि उस दिन किसी ने सामान्य बातचीत में ही बोल दिया कि कल्याण सिंह नत्थुराम गोडसे के बारे में बात कर रहा है; तो पुलिस मेरे पीछे पड़ गयी और मैं कई दिन छुपा रहा;
  एक दिन तो गज़ब हो गया, बाकी घरों के साथ-साथ, हमारी दीवार पर भी नारा लिखने वाले ने लिख दिया; मैंने देखा, पहले तो गुस्से में उसे बुरा-भला कहा, फिर उसके सामने ही उस लिखावट पर कली पोत दी; इस घटना के बाद पिताजी मेरे प्रति ज्यादा ही आशंकित हो गये थे;


जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
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