रविवार, 14 अप्रैल 2013

YAADEN (84) यादें (८४)

डोईवाला रिहायश के दौरान मैं सुबह railway-line से पार पश्चिम में, शाखा (राष्ट्रीय स्वयं-संघ) में जाने लगा था; प्रातः कालीन वे गतिविधियाँ मुझे पसंद थीं;  भानियावाला आने के बाद, यहाँ भी शाखा शुरू हो गयी थी; बड़े मामाजी की प्रेरणा से मैं सुबह जाने लगा था;  बड़े मामाजी ने तो 1963-64 में ही रायसिंह नगर से डॉक्टर हेडगवार और गुरु गोवेलकर की तस्वीरें लाकर नानुवाला घर में लगाई थीं;      
1974 तक RAILWAY में Ist, IInd, और IIIrd तीन श्रेणियां थीं; स्लीपर के लिए रात 9 से सुबह 6 बजे तक 3rd के ticket पर र 2.50 अतिरिक्त देना होता था; 1974 के rail-budget में IIIrd class समाप्त करने की घोषणा हुई;
INTERMEDIATE में हमारा परीक्षा केंद्र SGN KHALSA INTERMEDIATE COLLEGE देहरादून था; मैं केशर सिंह जी के पास रुक गया था; 1 अप्रैल को सुबह मैं केसरसिंह जी को जबदस्ती RAILWAY STATION ले गया; वहां जाकर देखा, तो डिब्बों पर III का एक डंडा मिटाकर II बना दिया था, II का एक डंडा मिटाकर I बना दिया था;
सोचता हूँ तीसरा दर्जा ख़त्म करके, दो ही किये थे; पर आज तो रेलवे में IInd, sleeper, Ist, AC Chair car, AC IIIrd , AC IInd , और AC Ist कुल 7 दर्जे हैं; चौबे जी, दुबे की बजाय छब्बे ही बन गए हैं; 
क्या हमारे संविधान में समानता और समाजवाद की यही परिकल्पना थी ?


जयहिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
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