रविवार, 8 अप्रैल 2018

अल्लापल्ली

कभी कल्पना न थी, कि महाराष्ट्र के सुदूर दक्षिण पूर्व में तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के साथ लगते नक्सल प्रभावित जंगलों में, भ्रमण का मौका मिलेगा। अप्रत्याशित का प्रत्याशी होना ही ब्रह्मा जी की "विधि" है।   
 महाराष्ट्र राज्य मार्ग संख्या ३६३ के वन क्षेत्र में अन्तर्विभागीय समन्वय के लिए गढ़चिरौली, कसनसूर, एटापल्ली, अल्लापल्ली, का भ्रमण। नागपुर से १७० किमी दक्षिण पूर्व में गढ़चिरौली जिले की ७८% भूमि वनाच्छादित है। मुख्य वन संरक्षक गढ़चिरौली के अन्तर्गत उत्तर से दक्षिण तक पाञ्च वन मण्डल- वडसा, गढ़चिरौली, भमरागढ़ (मुख्यालय आलापल्ली), आलापल्ली व सिंरोंचा हैं। गढ़चिरैली से १२० किमी दक्षिण में ग्राम पंचायत आलापल्ली (तहसील अहेरी) नक्सली क्षेत्र का मुहाना है। इस ग्राम में वन विभाग के दो खण्ड कार्यालयों के अलावा सार्वजनिक निर्माण विभाग का खण्ड कार्यालय, तीन बैंक ATM, दो पैट्रोल पम्प, ट्रैक्टर कम्पनी व  बाजार हैं। रविवार हाट के लिए ग्राम पंचायत ने पक्के बनाए हुए हैं। स्थानीय उपज, हस्तशिल्प व बाजारी सामान दोनों संस्कृतियां हाट में दिखती हैं।  
 लगभग १९°-२०° उत्तर व ८०°-८१° पूर्व में तीनों राज्यों की सीमा पर गोदावरी नदी के आस पास फैले यह  हरित वन, देश के मानचित्र पर आसानी से पहचाने जा सकते हैं। 
 वन उपज में शहद, इमली, महुआ, ताड़, सागवान, तेन्दुपत्ता मुख्य हैं। आदिवासिंयों में ताड़ी व महुए की शराब का प्रचलन है। यत्र तत्र नक्सलवाद के विरोध में पीले रंग के कपड़े पर प्रचार भी देखे जा सकते हैं। 
पर्यावरण की समीपता और व्यस्तता ने अपने प्रदेश की दूरी और परिवेश की याद भुलाए रखी। दो सप्ताह पलक झपकते बीत गये।  
Ashok Kumar Khatri, Land Acquisition Expert, Global Infra Solutions, Bhopal. 

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