सुना है कि आमिर खान ने नई फिल्म DELHI BELLY में युवा वर्ग को खूब गालियाँ परोसी है. ये बाज़ार की मांग हो सकती है, लेकिन हम अपने देश और समाज को किस ओर ले जाना चाहते है ? क्या सिनेमा का महत्त्व केवल बिकाऊपन होना है ?
साहित्य और संस्कृति समाज के पथ प्रदर्शक होते हैं . इसके स्पष्ट उदहारण रामानंद सागर की रामायण और बलदेवराज चोपड़ा की महाभारत हमारे सामने हैं जब सड़कें सूनी हो जाया करती थीं . बारातों की रवानगी बदल जाया करती थी. और हमारी युवा पीढी ने पिताश्री माताश्री भ्राताश्री भाभीश्री जैसे आदर सूचक शब्द सीखे.
अच्छी बोली अछे समाज का आइना है. आओ हम सब मिलकर अच्छा सोचें अच्छा
करें अच्छा रहें .
जय हिंद
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Ashok, Tehsildar Hanumamgarh 9414094991
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